कांग्रेस ने गोरखपुर के गीता प्रेस को 2021 का गांधी शांति पुरस्कार देने के केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है. कांग्रेस ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि यह सम्मान नहीं बल्कि उपद्रव जैसा कदम है. हालांकि अब जानकारी सामने आ रही है कि जयराम रमेश के इस ट्वीट पर कांग्रेस में ही विवाद शुरू हो गया है. उनके इस ट्वीट से कई दिग्गज नेता सहमत नहीं हैं.
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सावरकर और गोडसे को पुरस्कृत करने जैसा
केंद्र ने अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन में उत्कृष्ट योगदान के लिए गीता प्रेस को पुरस्कार देने का फैसला किया है. इसके विरोध में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया कि गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार 2021 देना ‘सावरकर और गोडसे को पुरस्कृत करने’ के समान है. यह फैसला मजाक बनाने के समान है.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अक्षय मुकुल द्वारा लिखित ‘गीता प्रेस एंड द मेकिंग ऑफ हिंदू इंडिया’ का कवर पेज भी साझा किया और तर्क दिया कि पुस्तक एक बहुत अच्छी आत्मकथा है. उन्होंने अपने ट्वीट में आगे लिखा “वह महात्मा के साथ उनके राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चल रही लड़ाइयों का पता लगाता है. यह फैसला वास्तव में एक उपहास है और सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है.”
गीता प्रेस दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक
1923 में स्थापित गीता प्रेस दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशन गृहों में से एक है. इस प्रेस में 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. जिसमें 16.21 करोड़ भगवद गीता शामिल है. जयराम रमेश ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देने का विरोध किया है. हालांकि अब कांग्रेस के कुछ नेताओं ने ही जयराम रमेश के खिलाफ नाराजगी जताई है.
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