बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में शानदार कामयाबी हासिल करने के बाद कांग्रेस लोगों से किए गए वादे को पूरा करने की तैयारी कर रही है. कर्नाटक में सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने पिछली भाजपा सरकार द्वारा बनाए गए धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द करने का फैसला किया है. इस मसले पर गुरुवार को राज्य कैबिनेट की ओर से एक प्रस्ताव पारित किया गया है. इतना ही नहीं सरकार ने फैसला किया है कि वह किताबों से हेडगेवार और सावरकार के अध्याय को हटाने का भी फैसला किया है.
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राज्य के कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि प्रस्ताव को आज राज्य मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल गई है. पिछली भाजपा सरकार ने पहले अध्यादेश के जरिए इसे लागू किया और बाद में इसे सदन में लाया गया था. उन्होंने यह भी कहा कि कैबिनेट ने स्कूल की इतिहास की किताब से हेडगेवार और सावरकार से जुड़े चैप्टर को हटाने का भी फैसला किया है. हेडगेवार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक थे. पिछले साल किताब में उनसे जुड़ा चैप्टर शामिल किया गया था.
कर्नाटक सरकार में मंत्री एचके पाटिल ने कैबिनेट की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि राज्य कैबिनेट ने स्कूलों और कॉलेजों में प्रेयर के साथ संविधान की प्रस्तावना को पढ़ना अनिवार्य करने का फैसला किया है. इसके अलावा कर्नाटक मंत्रिमंडल ने पुराने कानून को वापस लाने के लिए राज्य में APMC अधिनियम में संशोधन करने का भी फैसला किया है. आज कैबिनेट की बैठक में पाठ्यपुस्तकों के पुनरीक्षण पर भी चर्चा हुई है.
उल्लेखनीय है कि धर्मांतरण विरोधी अधिनियम बसवराज बोम्मई सरकार द्वारा लाया गया था. प्रलोभन, जबरदस्ती, बल, धोखाधड़ी के माध्यम से धर्मांतरण को रोकने के लिए कर्नाटक विधानसभा में दिसंबर 2021 में अध्यादेश लाया गया था. कर्नाटक में धर्मांतरण को रोकने के लिए लाए गए कानून को ‘कर्नाटक प्रोटेक्शन ऑफ राइट टू फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट, 2022’ नाम दिया गया था. कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने 17 मई 2022 को इस पर मंजूरी की मुहर लगा दी थी.
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