दिल्ली: मणिपुर मुद्दे पर लगातार सातवें दिन लोकसभा में हंगामे की स्थिति देखने को मिली. कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष के हंगामे के कारण स्पीकर ने कार्यवाही रोक दी और दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगन की घोषणा कर दी. इस दौरान उन्होंने विपक्ष से यह भी सवाल किया कि क्या वे सदन की कार्यवाही चलने देना चाहते हैं या नहीं? इससे पहले I.N.D.I.A गठबंधन के सांसदों ने संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और सदन में मणिपुर पर पीएम मोदी के बयान की मांग की.
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उससे पहले सदन के पटल पर रणनीति पर चर्चा करने के लिए संसद में राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष कक्ष में समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक हुई. कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि नियम 198 के तहत हमारे पास अविश्वास प्रस्ताव है. इस नियम के अनुसार चर्चा (मणिपुर के संबंध में) तुरंत होनी चाहिए. सरकार नहीं चाहती कि सदन के अध्यक्ष उनसे सवाल पूछें, वे मुद्दों से बचने के लिए बहाने दे रहे हैं.
आम आदमी पार्टी सांसद राघव चड्ढा के मुताबिक लोकसभा अध्यक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार किए जाने के बाद संसद में कोई विधेयक पेश नहीं किए जाते हैं, लेकिन हम देख रहे हैं कि कई विधेयक संसद में पेश और पारित किए जाते हैं. मैं अध्यक्ष से अपील करता हूं कि अब लोकसभा में कोई विधायी कार्य नहीं होना चाहिए. I.N.D.I.A ब्लॉक का एक प्रतिनिधिमंडल मणिपुर के लोगों को समर्थन प्रदान करने और उनके साथ एकजुटता दिखाने की आशा के साथ मणिपुर का दौरा करेगा. मणिपुर वायरल वीडियो मामले को 85 दिनों के बाद सीबीआई को सौंपने के लिए अब बहुत देर हो चुकी है.
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि वे (विपक्ष) शांतिपूर्ण ढंग से चर्चा में भाग नहीं लेते और संसद में किसी भी विधेयक को पारित करने में सहयोग नहीं करते. हम उनसे रचनात्मक सुझाव लेने को तैयार हैं, लेकिन वे अचानक अविश्वास प्रस्ताव ले आये. जब भी जरूरत होगी हम अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे और चूंकि हमारे पास संख्या है, इसलिए हमें कोई समस्या नहीं है. अगर वे चाहते हैं कि (मणिपुर के संबंध में) सच्चाई सामने आए, तो इस (संसद) से बेहतर कोई मंच नहीं है.
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