दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने संसद का मानसून सत्र खत्म होने के कुछ ही दिन बाद आज एक चौंकाने वाला ऐलान किया है. मोदी सरकार अगले महीने संसद का विशेष सत्र बुलाने वाली है, जो 5 दिनों तक चलेगा. केंद्रीय संसदीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ट्विटर के जरिए इसकी घोषणा की है. मोदी सरकार के इस फैसले के बाद विपक्ष भड़क गया है और गणेशउत्सव के दौरान सत्र बुलाने को लेकर हमला बोला है.
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संसद के विशेष सत्र पर शिवसेवा उद्धव ठाकरे गुट के नेता अरविंद सावंत ने कहा कि संसद के इतिहास में त्योहार के समय कभी कोई सत्र नहीं हुआ है. अब इन्होंने जिन दिनों गणपति उत्सव मनाया जाता है, उन दिनों संसद का सत्र रखा है. यह इनका हिंदुत्व है.
वहीं इस मामले को लेकर कांग्रेस सांसद दीपेंद्र एस.हुड्डा ने कहा कि पहले लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा सभापति के माध्यम से सदस्यों को सूचनाएं मिलती थीं, अब प्रह्लाद जोशी के ट्वीट से पता चलता है. अब जब मानसून सत्र समाप्त हो गया है, तो सितंबर में इस सत्र की क्या वजह या तात्कालिकता है? सरकार बताए कि इस अर्जेंट सत्र की वजह क्या है.
शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट की नेता प्रियंका चतुवेर्दी ने भी केंद्र के इस फैसले पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस तरह से प्रह्लाद जोशी ने चोरी-चोरी, चुपके-चुपके यह निर्णय लेकर ट्वीट किया है- मेरा सवाल है कि देश का एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार गणेश चतुर्थी (उस समय मनाया जाएगा)…तो हम जानना चाहते हैं कि यह हिंदू विरोधी काम क्यों हो रहा है? यह फैसला किस आधार पर लिया गया है?…क्या यही उनकी ‘हिन्दुत्ववादी’ मानसिकता है?
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि संसद के विशेष सत्र को लेकर हमें कोई जानकारी नहीं मिली, हमें ट्वीट के माध्यम से सत्र के बारे में पता चला, हमें किसी भी तरह का नोटिस, पत्र या फोन करके इसकी जानकारी नहीं दी गई है. वहीं संसद के विशेष सत्र के बारे में पूछे जाने पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ”उन्हें लाने दीजिए, लड़ाई जारी रहेगी.”
केंद्र की मोदी सरकरा ने अगले महीने पांच दिवसीय संसद का विशेष सत्र बुलाया है. इस मामले को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि मुझे लगता है कि शायद यह थोड़ी घबराहट का सूचक है. उसी तरह की घबराहट जैसी घबराहट तब हुई थी जब मैंने संसद भवन में भाषण दिया था, घबराहट की वजह से अचानक उन्हें मेरी संसद सदस्यता रद्द करनी पड़ी थी. इसलिए मुझे लगता है कि यह घबराहट की बात है क्योंकि ये मामले प्रधानमंत्री के बहुत करीब हैं. जब भी आप अडानी का मामला छेड़ते हैं तो प्रधानमंत्री बहुत असहज और घबरा जाते हैं.
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