दिल्ली: संसद के मॉनसून सत्र में विपक्ष मणिपुर मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरने के लिए लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया था. विपक्ष की ओर से सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर 8 अगस्त से 10 अगस्त तक चर्चा होगी. प्रधानमंत्री मोदी 10 अगस्त को अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब देंगे. विपक्ष मणिपुर मुद्दे पर संसद में बहस और प्रधानमंत्री के बयान की लगातार मांग कर रहा है. चूंकि सरकार के पास बहुमत है इसलिए अविश्वास प्रस्ताव से सरकार को कोई परेशानी नहीं होगी.
Advertisement
Advertisement
मणिपुर हिंसा पर बोलने के लिए मजबूर हों पीएम मोदी: विपक्ष
26 जुलाई को कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दाखिल किया था. इसके अलावा तेलंगाना में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति ने भी केंद्र सरकार के खिलाफ अलग से अविश्वास प्रस्ताव के लिए नोटिस जारी किया था. संसद में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित करना असंभव है. क्योंकि भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ पूर्ण बहुमत में है. इधर विपक्ष का कहना है कि इसके जरिए पीएम मोदी को मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर बोलने के लिए मजबूर करना है.
हमें मामूल है सरकार नहीं गिरेगी-अधीर रंजन
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि हमारी मांग थी कि प्रधानमंत्री खुद आकर बोले, पता नहीं क्यों प्रधानमंत्री नहीं बोल रहे हैं. हमें मजबूरन अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा. ये हमारी मजबूरी है. हम जानते हैं कि इससे सरकार नहीं गिरेगी, पर हमारे पास कोई चारा नहीं है. देश के प्रधानमंत्री देश के सामने आकर मणिपुर पर कोई वार्ता करें.
गौरतलब है कि सदन में सरकार को घेरने की नई रणनीति के तहत विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई है. आंकड़ों की बात करें तो लोकसभा में फिलहाल एनडीए के 335 सांसद हैं. मोदी सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव 20 जुलाई 2018 को आया था. तब सरकार को 325 और विपक्ष को 126 वोट मिले थे. विपक्ष के इस अविश्वास प्रस्ताव की वजह से सरकार के मुखिया के नाते पीएम मोदी को इसका जवाब देना होगा.
हरियाणा हिंसा की गूंज राजस्थान तक पहुंची, भरतपुर में हाई अलर्ट, कई इलाकों में इंटरनेट बंद
Advertisement