दिल्ली: समान नागरिक संहिता को लेकर कांग्रेस नेताओं को सोनिया गांधी की अध्यक्षता में बैठक चल रही है. इस बैठक में मानसून सत्र के दौरान संसद में उठाए जाने वाले मुद्दों पर चर्चा के अलावा यूसीसी पर अपने रुख पर भी चर्चा करेगी. इसके साथ ही कांग्रेस 3 जुलाई को यूसीसी को लेकर अपने सभी नेताओं के साथ बैठक करने जा रही है. लेकिन उससे पहले हिमाचल प्रदेश के दिग्गज कांग्रेसी नेता ने एक ऐसा बयान दिया है जिसे लेकर कांग्रेस दो हिस्सों में बंटी नजर आ रही है.
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हिमाचल प्रदेश सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड जब भी आएगा हम इसका समर्थन करेंगे. कांग्रेस पार्टी ने हमारे देश में एकता और अखंडता को आगे ले जाने में हमेशा योगदान दिया है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि पहले इन्होंने पुलवामा के नाम पर वोट मांगा, राम मंदिर के नाम पर वोट मांगा, CAA के नाम पर लोगों को भ्रमित किया. अब यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर देश में एक बहस छेड़ने का प्रयास किया जा रहा है. हिमाचल प्रदेश सरकार को केंद्र सरकार से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है.
#WATCH पहले इन्होंने पुलवामा के नाम पर वोट मांगा, राम मंदिर के नाम पर वोट मांगा, CAA के नाम पर लोगों को भ्रमित किया। अब यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर देश में एक बहस छेड़ने का प्रयास किया जा रहा है…हिमाचल प्रदेश सरकार को केंद्र सरकार से कोई सहयोग नहीं मिल रहा: हिमाचल प्रदेश… pic.twitter.com/xgapB5od6L
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 1, 2023
जयराम ठाकुर ने की तारीफ
हिमाचल प्रदेश सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह के इस बयान पर हिमाचल प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि मुझे लगता है उन्होंने अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है. ये उचित है, आज अगर विक्रमादित्य ने ऐसा सोचा है तो उन्होंने कांग्रेस के हित से ज्यादा देश का हित जाना है, इसी कारण से उन्होंने ये भाव व्यक्त किया है. अधिकांश पार्टियों का मत यही होगा कि UCC लागू होना चाहिए.
यूसीसी बिल पेश किया जा सकता है
मोदी सरकार मानसून सत्र में समान नागरिक संहिता पर बिल पेश कर सकती है. यूसीसी को लेकर पीएम मोदी के हालिया बयान के बाद इसे लेकर अटकलें तेज हो गई हैं. 27 जून को पीएम मोदी ने भोपाल में कहा था कि जब दो कानूनों से सदन नहीं चल सकता तो दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा? माना जा रहा है कि पीएम मोदी का यह बयान यूसीसी के पक्ष में माहौल तैयार करने की कोशिश है. लेकिन अगर मोदी सरकार इस बिल को सदन में बहस के लिए रखती है तो हंगामा होने की संभावना जताई जा रही है, क्योंकि कुछ राजनीतिक दल इसका समर्थन कर रहे हैं, वहीं कुछ विपक्षी दल इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और इसे चुनावी एजेंडा बता रहे हैं.
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