राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द होने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर हमला बोला है. गुजरात के एक सांसद को 3 साल की सजा सुनाए जाने के बावजूद उनकी सदस्यता वापस दे दी गई. लेकिन सच बोलने वाले व्यक्ति को संसद में आने की अनुमति नहीं है. खड़गे कहा इसे देखकर ऐसा लगता है कि हमारे साथ दोहरा रवैया अपनाया जा रहा है. राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द होने के बाद गुजरात के अमरेली से भाजपा सांसद का मामला चर्चा में आ गया है. कोर्ट ने अमरेली सांसद को 2013 में तीन साल की सजा सुनाई थी.
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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आज मीडिया से बातचीत करते हुए सिंधिया और गुलाम नबी आजाद के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी कभी किसी के ऊपर दबाव नहीं डालती है. मैं यह भी नहीं कहना चाहता हूं कि सरकार दबाव डाल रही है, लेकिन एक उदाहरण है कि एक व्यक्ति जिसे 3 साल सज़ा होती है इसके बावजूद उसकी सदस्यता रद्द नहीं की जाती और एक व्यक्ति (राहुल गांधी) जिसने सच कहा उसकी सदस्यता रद्द की जाती है.
मोदी सरकार के पाखण्ड और दोग़लेपन की पराकाष्ठा –
एक दलित डॉक्टर को मारने के केस में गुजरात से BJP सांसद को लोकल कोर्ट, सेशंस कोर्ट व हाई कोर्ट 3 साल की सज़ा सुनाते है, पर 16 दिनों तक कोई Disqualification नहीं !
पर श्री @RahulGandhi को Lightning Speed से Disqualify किया जाता है। pic.twitter.com/uB3mI8SqzC
— Mallikarjun Kharge (@kharge) April 5, 2023
इसी मामले को लेकर खड़गे ने एक ट्वीट कर लिखा “मोदी सरकार के पाखण्ड और दोग़लेपन की पराकाष्ठा- एक दलित डॉक्टर को मारने के केस में गुजरात से BJP सांसद को लोकल कोर्ट, सेशंस कोर्ट व हाई कोर्ट 3 साल की सज़ा सुनाते है, पर 16 दिनों तक कोई Disqualification नहीं!. लेकिन राहुल गांधी को Lightning Speed से Disqualify किया जाता है.”
क्या था पूरा मामला
1 जनवरी 2013 को अमरेली के सांसद नारनभाई काछड़िया ने सिविल अस्पताल में एक दलित डॉक्टर को थप्पड़ मार दिया था. इसके बाद उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया और बाद में अमरेली कोर्ट ने उन्हें इस मामले में तीन साल की सजा सुनाई थी. उसके बाद नारनभाई काछड़िया की लोकसभा सदस्यता पर खतरा मंडराने लगा था. काछड़िया ने अपनी लोकसभा सदस्यता बचाने और सजा पर रोक के लिए गुजरात उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था लेकिन यहां से राहत नहीं मिली तो सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.
सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस एनवी रमना की बेंच ने काछड़िया की सजा को खारिज कर दिया. इतना ही नहीं उनको एट्रोसिटी के आरोपों से भी बरी कर दिया गया. कोर्ट ने यह फैसला सांसद और डॉक्टर के बीच हुए समझौते के बाद लिया था. सांसद ने पीड़ित को बिना शर्त मुआवजा देने और भविष्य में अच्छे व्यवहार का वादा किया था. कांग्रेस अध्यक्ष ने राहुल गांधी पर हुई कार्रवाई के संबंध में बीजेपी सांसद के इसी मामले का हवाला देते हुए मोदी सरकार पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया है.
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