लखनऊ: सपा नेता और एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस के खिलाफ विवादित बयान देने के बाद अब उनके खिलाफ आवाज उठाने वाले साधु और संतों पर निशाना साधना शुरू कर दिया है. सोनभद्र के मऊकलां में बुद्ध महोत्सव में मुख्य अतिथि के तौर पर हिस्से लेने पहुंचे स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस विवाद के बीच साधु-संतों पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि अब इनकी भाषा आकंतियों जैसी हो गई है.
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सोनभद्र के मऊकलां में बुद्ध महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करने पहुंचे सपा नेता स्वामी प्रसाद ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि मैं रामचरितमानस का विरोध नहीं कर रहा हूं. महिलाओं, आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों को धर्म के नाम पर अपमानित ना किया जाए इसलिए तुलसीदास की कुछ चौपाइयों के वे हिस्से संशोधित या प्रतिबंधित करने की छोटी सी मांग कर रहा हूं.
मौर्य के मुताबिक जब वोट लेने के लिए आदिवासी, पिछड़े और दलित भाजपा के लिए हिंदू हो जाते हैं तो सम्मान दिलाने के लिए क्यों नहीं होते. अगर वे चाहते हैं कि आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों को सम्मान मिले तो रामचरितमानस की चौपाइयों को प्रतिबंधित या संशोधित करें.
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने बाबाओं को निशाने पर लेते हुए कहा कि मैं पढ़ता और सुनता था कि साधु कभी गुस्सा नहीं होते और होते हैं तो श्राप देते हैं. लेकिन आजकल के बाबाओं और साधुओं को अपने जप-तप पर भरोसा नहीं है. इसलिए अब वे आतंकवादी की भाषा बोल रहे हैं.
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