त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने विधानसभा चुनावों से पहले ‘सुनामी’ आने भविष्यवाणी की है और दावा किया है कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पूर्वोत्तर राज्य में सत्ता बरकरार रखेगी. उन्होंने कहा, आपने सुनामी के बारे में सुना है इस चुनाव में कुछ ऐसा ही होने वाला है. कुछ भी हो सकता है लेकिन यह 2018 से कम नहीं होगा. 2018 में हमें 36 सीटें मिली थीं और हमारे गठबंधन सहयोगी को 8 सीटें मिली थीं. लेकिन इस बार हम पिछले साल के मुकाबले ज्यादा सीटें जीतकर सरकार बनाने वाले हैं.
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न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा कि यह लोग (कांग्रेस, वाम दल) पारंपरिक राजनीति कर रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी राजनीति ही बदल दी है. किन लोगों के साथ रहने से कितने मतदान मिलेंगे यह लोग उसी में लगे हैं, लेकिन BJP सबके लिए काम करती है. मैंने बार-बार कहा कि ग्रेटर टिपरालैंड की सीमा कहां है? कभी बोलते हैं कि यह बांग्लादेश में है, कभी बोलते हैं कि असम, मिज़ोरम में कुछ हिस्सा है. अगर हम इसपर बात करना चाहते हैं तो कहा जाता है कि यह भाषाई और सांस्कृतिक पर है. वे ठीक से इसको परिभाषित नहीं कर पा रहे हैं.
मुख्यमंत्री माणिक साहा के मुताबिक हम आंकड़ों के हिसाब से बोल सकते हैं लेकिन अभी इसकी(गठबंधन) सुदूर संभावना है. फिलहाल मैं इसकी संभावना नहीं देखता. कम्युनिस्ट (सरकार) को लोकतांत्रिक तरीके से हटाना भारत के इतिहास में ऐसा शायद पहली बार हुआ है. इस वजह से भी त्रिपुरा जरूरी है. इतने लोगों को अपने जीवन का बलिदान देना पड़ा और ऐसा फिर से न हो इसलिए हमारे पार्टी के नेता भी चिंतित रहते हैं. अगर एक ही पार्टी की सरकार होती है तो कुछ भी चीज़ मांगने में आसानी हो जाती है. मैंने पहले भी देखा था कि केंद्रीय मंत्रियों से मिलने में बहुत मुश्किल होती थी. अगर एक ही सरकार होगी तो समय भी तुरंत मिल जाता है. ऐसा पहले कभी नहीं था और जनता इसको समझती भी है.
गौरतलब है कि त्रिपुरा की 60 सीटों वाली विधानसभा के लिए 16 फरवरी को मतदान होगा. भारतीय जनता पार्टी ने राज्य की 55 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार चुकी है. जबकि पांच सीटें अपनी सहयोगी इंडीजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा के लिए छोड़ दी है. त्रिपुरा में 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 36 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि आईपीएफटी के उम्मीदवारों ने आठ सीटों पर जीत हासिल की थी.
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