इस्तांबुल: सीरिया की सीमा के पास दक्षिणी तुर्की में आए भूकंप में मरने वालों की संख्या 21,000 को पार कर गई है और मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि इस आपदा में हुए नुकसान की तस्वीर अभी साफ नहीं है. तुर्की और सीरिया में सोमवार को आए 7.8 तीव्रता के भूकंप को सदी की सबसे भीषण आपदा के रूप में देखा जा रहा है.
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ठंड के कारण राहत और बचाव कार्य में कठिनाई
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ट्रेडोस अदनोम घेब्रेयसस ने कहा कि तुर्की और सीरिया में ठंड का मौसम राहत और बचाव के प्रयासों में बाधा बन रहा है, और भूकंप के 100 घंटे से अधिक समय के बाद, मलबे में फंसे लोगों के जिंदा बचे रहने की बहुत कम उम्मीद है. इस बीच भूकंप से बचे लोगों के लिए आश्रय के अलावा खाने-पीने का इंतजाम करना भी मुश्किल हो रहा है.
भारत की ओर से ‘ऑपरेशन दोस्त’ के लिए रवाना हुई चौथी टीम
इस बीच केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में स्थित हिंडन एयरबेस पहुंचें. वहां से तुर्की में आए भयंकर भूकंप से प्रभावित लोगों की मदद के लिए भारतीय वायु सेना C17 ग्लोबमास्टर विमान को चिकित्सा, राशन, राहत उपकरणों और NDRF टीम के साथ तुर्की के लिए रवाना किया गया. इस मौके पर केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि तुर्की में जो भूकंप आया है उससे प्रभावित लोगों की मदद के लिए भारत अभी तक 4 टीमें भेज चुका है. इसमें NDRF बचाव दल की 2 और मेडिकल सहायता के लिए 2 टीमें हैं. वहां एक क्षेत्र अस्पताल भी खोला जा चुका है.
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