मुंबई: भारत के चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकेर को बड़ा झटका देते हुए आदेश दिया कि पार्टी का नाम “शिवसेना” और पार्टी का प्रतीक “धनुष और तीर” एकनाथ शिंदे गुट को दिया जाएगा. पिछले साल एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद उद्धव ठाकरे सरकार गिर गई थी. उसके बाद शिवसेना के ज्यादातर विधायक ही नहीं बल्कि संगठन के पदाधिकारी भी एकनाथ शिंदे से जुड़ गए थे.
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उसके बाद से ही असली शिवसेना कौन है, इसे लेकर दोनों गुटों में खींचतान चल रही थी. इसे लेकर आमने-सामने के विवाद के चलते चुनाव आयोग ने पहले एक अंतरिम फैसले में शिवसेना के बालासाहेब ठाकरे के अस्थायी नाम शिंदे गुट को और शिवसेना के उद्धव बालासाहेब ठाकरे के अस्थायी नाम उद्धव गुट को दे दिया था. लेकिन सीएम एकनाथ शिंदे और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे गुटों ने पार्टी के नाम और उसके सिंबल पर अपना-अपना दावा पेश किया था. जिसके बाद चुनाव आयोग ने शिवसेना के चुनाव चिन्ह धनुष और तीर को फ्रीज कर दिया था.
अब चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद शिंदे समूह ही असली शिवसेना के रूप में स्थापित हो गया है और बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित पार्टी से उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे को हटा दिया गया है. एकनाथ शिंदे समूह के नेताओं ने आयोग के फैसले का स्वागत किया है. लेकिन उधर, उद्धव ठाकरे ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का ऐलान किया है.
चुनाव आयोग ने क्या कहा?
चुनाव आयोग ने आदेश दिया कि पार्टी का नाम शिवसेना और पार्टी का प्रतीक धनुष और तीर एकनाथ शिंदे गुट द्वारा रखा जाएगा. भारत के चुनाव आयोग ने देखा कि शिवसेना का वर्तमान संविधान अलोकतांत्रिक है. बिना किसी चुनाव के पदाधिकारियों के रूप में एक गुट के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से नियुक्त करने के लिए इसे विकृत कर दिया गया है. इस तरह की पार्टी की संरचना विश्वास को प्रेरित करने में विफल रहती है.
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