मुंबई: महाराष्ट्र में पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे बनाम सीएम एकनाथ शिंदे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में राज्यपाल की भूमिका पर भी सवाल खड़ा किया था. कोर्ट ने कहा कि आंतरिक पार्टी के विवादों को हल करने के लिए फ्लोर टेस्ट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. न तो संविधान और न ही कानून राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने और अंतर-पार्टी या अंतर-पार्टी विवादों में भूमिका निभाने का अधिकार देता है. कोर्ट के इस फैसले के बाद ठाकरे ने पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर जमकर निशाना साधा है.
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महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस मामले को लेकर कहा कि उन्होंने जो गैरकानूनी काम किया है उसके लिए मुझे लगता है कि उनके खिलाफ मुकदमा चलना चाहिए. राज्यपाल किसी कानून के तहत नहीं आते तो इसका मतलब यह नहीं है कि वे अपनी मनमर्जी करें. इसके अलावा उन्होंने कहा कि यह वर्तमान सरकार को अंतरिम राहत है. स्पीकर को जल्द से जल्द मामले पर फैसला लेना चाहिए. अगर वे कोई गलत फैसला देते हैं तो हम फिर कोर्ट जाएंगे.
तो मैं क्या कहता कि मत दो इस्तीफा
महाराष्ट्र राजनीतिक संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि मैं सिर्फ संसदीय और विधायी परंपरा जानता हूं और उस हिसाब से मैंने तब जो कदम उठाए सोच-समझकर उठाए. जब इस्तीफा मेरे पास आ गया तो मैं क्या कहता कि मत दो इस्तीफा, इसके अलावा उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में सिद्ध किया है कि जो मैंने शिंदे जी को शपथ दिलाने और मुख्यमंत्री का त्यागपत्र स्वीकार करने का निर्णय लिया था उसमें कहीं कोई त्रुटि नहीं है.
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