मुंबई: उद्धव ठाकरे बनाम एकनाथ शिंदे मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट का फैसला सामने आने के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मुंबई में स्थित अपने निवास स्थान के बाहर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ जश्न मनाया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि आम जनता के दिल की भावना, बालासाहेब ठाकरे के विचार, शिवसेना-भाजपा के विचारों और लोगों ने जो चुनाव में शासनादेश दिया यह उसका विजय है. बालासाहेब ठाकरे के विचारों को जिन्होंने प्रताड़ना दी उनको मुंहतोड़ जवाब आज के उच्च न्यायालय के निर्णय ने दिया है.
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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि नैतिकता की बात अब करने से अच्छा तब करनी चाहिए थी जब चुनाव हुआ था. तब अगर लोगों का निर्णय देखते हुए नैतिकता की बात करते तो भाजपा-शिवसेना की सरकार बन जाती लेकिन इन्होंने कुर्सी पाने के लिए फैसला लिया. उद्धव ठाकरे आपने इस्तीफा दे दिया था. आपके पास अल्पमत था, कितने लोग बचे थे? उन्हें पता था उनकी हार हो जाएगी और तब राज्यपाल ने निर्णय लिया जो सही था…शिवसेना और बालासाहेब की विचारधारा को बचाने का काम हमने किया है.
वहीं इस मौके पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट ने महाविकास अघाड़ी के मंसूबों पर पानी फेर दिया है. महाविकास अघाड़ी की साजिश नाकाम हो गई है. सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार पूरी तरह संवैधानिक है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि उद्धव ठाकरे को दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सकता है. सदस्यता निरस्त किए जाने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि स्पीकर के पास अधिकार है कि वे फैसला लें.
उद्धव के बयान पर फडणवीस ने भी पलटवार करते हुए कहा कि नैतिकता की बात करना उद्धव ठाकरे को शोभा नहीं देता. मैं उनसे पूछता हूं कि भाजपा के साथ चुनकर आए और मुख्यमंत्री बनने के लिए कांग्रेस और NCP के साथ जब गए तब नैतिकता को कौनसे डब्बे में डाला था? उन्होने डर के कारण इस्तीफा दिया था. स्पीकर को यह अधिकार दिया गया है कि 10वीं अनुसूचि को ध्यान में रखते हुए यह तय करेंगे कि राजनीतिक पार्टी कौनसी है और फिर सदस्यता निरस्त किए जाने पर फैसला होगा.
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