मुंबई: भले ही चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे समूह से शिवसेना का नाम और चुनावी चिन्ह छीनकर एकनाथ शिंदे के समूह को यह विरासत दे दी है, लेकिन लड़ाई अब भी जारी है. उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम खुद को शिवसेना कहते रहेंगे. इतना ही नहीं, नए सिरे से संगठन को मजबूत करने के लिए पूरे महाराष्ट्र का दौरा करने की योजना की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि हम राज्य भर में रैलियां करेंगे.
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निशाने पर चुनाव आयोग
उद्धव ठाकरे ने अपने समूह के नेताओं के स्वागत के लिए रत्नागिरी खेड़ में एक रैली को संबोधित किया. चुनाव आयोग की आलोचना करते हुए ठाकरे ने कहा कि चुनाव आयोग के आदेश के बावजूद हम खुद को शिवसेना कहते रहेंगे. उद्धव ठाकरे ने कहा कि चुनाव आयोग को मोतियाबिंद हो गया है. सबसे पहले उन्हें ग्राउंड रिपोर्ट देखने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जनता का जनादेश तय करेगा कि मुझे क्या करना है. जनता जो तय करेगी मैं वहां ही करूंगा.
भाजपा पर नाम चुराने का लगाया आरोप
बीजेपी पर नाम चुराने का आरोप लगाते हुए उद्धव ने कहा कि उन्होंने सरदार पटेल, सुभाष चंद्र बोस और अब बालासाहेब ठाकरे के नाम को चुरा लिया है. सरदार पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था. इन लोगों ने सरदार पटेल का नाम चुरा लिया है. इस प्रकार उन्होंने सुभाष चंद्र बोस और बाद में बालासाहेब ठाकरे के साथ भी ऐसा ही किया. मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि मोदी के नाम पर वोट मांगें न कि शिवसेना या बालासाहेब ठाकरे के नाम पर.
चुनाव आयोग ने क्या कहा?
बीते दिनों चुनाव आयोग ने आदेश दिया कि पार्टी का नाम शिवसेना और पार्टी का प्रतीक धनुष और तीर एकनाथ शिंदे गुट द्वारा रखा जाएगा. भारत के चुनाव आयोग ने देखा कि शिवसेना का वर्तमान संविधान अलोकतांत्रिक है. बिना किसी चुनाव के पदाधिकारियों के रूप में एक गुट के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से नियुक्त करने के लिए इसे विकृत कर दिया गया है. इस तरह की पार्टी की संरचना विश्वास को प्रेरित करने में विफल रहती है. आयोग के फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
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