दिल्ली: नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो के नेतृत्व में 12 सदस्यीय नागालैंड सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद सीएम नेफ्यू रियो ने दावा किया है कि अमित शाह ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया है कि केंद्र सरकार ईसाई और आदिवासी क्षेत्रों के कुछ वर्गों को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के दायरे से छूट देने पर विचार कर रही है. राज्य सरकार ने एक बुलेटिन में यह जानकारी दी. हालांकि इस मामले को लेकर गृह मंत्रालय ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
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अमित शाह ने दिया आश्वासन
प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को अमित शाह से मुलाकात की और उन्हें यूसीसी प्रस्ताव के संबंध में आशंकाओं और इसके गंभीर परिणामों से अवगत कराया. नागालैंड एक ईसाई राज्य है और यहां संविधान का अनुच्छेद 371(ए) धार्मिक अभ्यास की गारंटी देता है. नागालैंड सरकार के प्रवक्ता और मंत्री केजी कान्ये ने कहा कि अमित शाह ने आश्वासन दिया है कि केंद्र 22वें विधि आयोग के दायरे से ईसाइयों और कुछ आदिवासी क्षेत्रों को राहत देने पर सक्रिय रूप से विचार कर रहा है. यह एक बड़ी राहत है क्योंकि इससे बड़ी उथल-पुथल टल जाएगी.
यूसीसी बिल पेश किया जा सकता है
मोदी सरकार मानसून सत्र में समान नागरिक संहिता पर बिल पेश कर सकती है. यूसीसी को लेकर पीएम मोदी के हालिया बयान के बाद इसे लेकर अटकलें तेज हो गई हैं. 27 जून को पीएम मोदी ने भोपाल में कहा था कि जब दो कानूनों से सदन नहीं चल सकता तो दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा? माना जा रहा है कि पीएम मोदी का यह बयान यूसीसी के पक्ष में माहौल तैयार करने की कोशिश है.
जब से विधि आयोग ने देश की जनता से अपने विचार व्यक्त करने को कहा है तब से समान नागरिक संहिता का मुद्दा चर्चा का विषय बन गया है. विधि आयोग ने पिछले महीने एक अधिसूचना जारी कर 15 जुलाई से पहले इस मुद्दे पर जनता से लिखित सुझाव मांगे थे. लेकिन पीएम मोदी के बयान के बाद इस पर चर्चा तेज हो गई है. अगर मोदी सरकार इस बिल को सदन में बहस के लिए रखती है तो हंगामा होने की संभावना जताई जा रही है, क्योंकि कुछ राजनीतिक दल इसका समर्थन कर रहे हैं, वहीं कुछ विपक्षी दल इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और इसे चुनावी एजेंडा बता रहे हैं.
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