पटना: नीतीश सरकार अब बिहार में जाति आधारित जनगणना करा सकती है. जनगणना रोकने के लिए दायर याचिका को पटना हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट के इस फैसले से अब नीतीश सरकार को राज्य में जातीय गणना कराने के फैसले को हरी झंडी मिल गई है. याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि पटना हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.
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मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की पीठ ने जाति आधारित जनगणना को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर फैसला सुनाया. इस फैसले के बाद अधिवक्ता दीनू कुमार ने कहा कि जज ने ये फैसला सुनाया कि बिहार सरकार के जाति आधारित सर्वे को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं खारिज कर दी गई हैं. वह इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.
पटना हाईकोर्ट द्वारा बिहार सरकार के जाति आधारित सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने के फैसले पर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है. हाईकोर्ट ने महागठबंधन सरकार के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है. यह स्वागत योग्य निर्णय है. हमारी लड़ाई समाज के पिछड़े लोगों को मुख्यधारा में लाने की है. जब जाति आधारित सर्वेक्षण होगा, तो स्पष्टता आएगी और उसी आधार पर सरकार योजनाएं बनाएगी और उन तक सुविधाएं पहुंचाएगी. भाजपा जातिगत जनगणना को रोकना चाहती थी. मैं ऐसा करने के लिए मुख्यमंत्री और राजद प्रमुख लालू यादव को धन्यवाद देता हूं.
राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी पटना हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि हम हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं. यह सिर्फ एक फैसला नहीं है बल्कि गरीबों के लिए फैसला है. इससे उनके लिए दरवाजे खुलेंगे. उनके सर्वेक्षण के बाद, उनकी आर्थिक स्थिति का पता चलेगा और उस आधार पर सरकार उनके लिए योजनाओं का मसौदा तैयार करेगी और इससे विकास के द्वार खुलेंगे. मैं CM और तेजस्वी यादव को धन्यवाद देता हूं, उन्होंने कड़ी मेहनत की है.
गौरतलब है कि बिहार सरकार ने यह सर्वे जनवरी महीने में शुरू किया था लेकिन हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी. सर्वे दो चरणों में होना था. पहला चरण जनवरी में आयोजित किया गया था जिसके तहत घरेलू गणना अभ्यास आयोजित किया गया था. सर्वेक्षण का दूसरा चरण 15 अप्रैल को शुरू हुआ, जिसमें लोगों की जाति और सामाजिक-आर्थिक स्थितियों से संबंधित डेटा एकत्र करने पर ध्यान केंद्रित किया गया था. पूरी प्रक्रिया इस साल मई तक पूरी करने की योजना थी, लेकिन 4 मई को हाई कोर्ट के फैसले के बाद इसे रोक दिया गया था.
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