गांधीनगर: भारत के मशहूर आर्किटेक्ट बालकृष्ण दोशी का 95 साल की उम्र में अहमदाबाद में निधन हो गया है. उनका अंतिम संस्कार थलतेज में किया जाएगा. भारत के पहले आर्किटेक्ट बालकृष्ण दोशी ने अपने सात दशकों के करियर में 100 से अधिक परियोजनाओं को पूरा किया है, जिसमें भारत में स्कूल, पुस्तकालय, कला केंद्र और कम लागत वाले आवास जैसे सार्वजनिक संस्थान शामिल हैं.
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कौन थे बालकृष्ण दोशी?
बालकृष्ण का जन्म 26 अगस्त, 1927 को पुणे में हुआ था. बालकृष्ण दोशी के दादा एक फर्नीचर वर्कशॉप के मालिक थे और दोशी को शुरू में विश्वास था कि वह इसमें अपना करियर बनाएंगे. हालांकि दोषी की वास्तुकला में रुचि हो गई और 1947 में सर जे.जे. स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर बॉम्बे में प्रवेश लिया. उसके बाद 1950 में उन्होंने लंदन की यात्रा की जहां उनकी मुलाकात ली कोर्बुज़िए से हुई और अगले चार वर्षों के लिए बी.वी. दोशी ने पेरिस के एक जाने-माने आर्किटेक्चरल स्टूडियो में काम किया.
अनेक पुरस्कारों से किया गया था सम्मानित
बीवी दोशी रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रिटिश आर्किटेक्ट्स के फेलो हैं और प्रित्जकर पुरस्कार, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र और वास्तुकला के लिए आगा खान पुरस्कार के लिए चयन समिति में भी रह चुके हैं. वह इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स के भी फेलो रह चुके हैं. अपने अध्ययन के माध्यम से भारतीय और अंग्रेजी विरासत के पनमिर्लिन को को लेकर दोशी को 2007 में सस्टेनेबल आर्किटेक्चर के लिए ग्लोबल अवार्ड से सम्मानित किया गया था.
बीवी दोशी ने IIM अहमदाबाद के अलावा अहमदाबाद में श्रेयस स्कूल, सेप्ट यूनिवर्सिटी, अटीरा गेस्ट हाउस, प्रेमाभाई हॉल, टैगोर हॉल, अहमदाबाद की गुफा, कनेरिया सेंटर फॉर आर्ट्स आदि को भी डिजाइन किया था.
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