दिल्ली: ‘स्वास्थ्य और चिकित्सा अनुसंधान’ पर बजट के बाद वेबिनार को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब हम हेल्थ केयर की बात करते हैं तो इसे पूर्व कोविड युग और महामारी के बाद के युग के विभाजन के साथ देखना चाहिए. दुनिया का ध्यान पहले से कही ज्यादा अब हेल्थ केयर पर आया है. लेकिन भारत सिर्फ हेल्थ केयर तक ही सीमित नहीं बल्कि एक कदम आगे बढ़कर कल्याण के लिए काम कर रहे हैं इसलिए हमने दुनिया के सामने ‘वन अर्थ वन हेल्थ’ का एक विजन रखा है.
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इसके अलावा उन्होंने कहा कि कोरोना ने हमें ये भी सिखाया कि सप्लाई चेन कितना बड़ा महत्वपूर्ण विषय बन गया है. जब महामारी अपने चरम पर थी, तो कुछ देशों के लिए दवाएं, टीके और चिकित्सा उपकरण जैसी जीवन रक्षक चीजें भी हथियार बन गई थीं. हमने हेल्थ केयर को सिर्फ स्वास्थ्य मंत्रालय तक सीमित नहीं रखा है बल्कि पूरी सरकार पर बल दिया है.
पीएम ने अपने संबोधन में आगे कहा कि भारत में इलाज को खरीदने की सामर्थ्य बनाना हमारी सरकार की प्राथमिकता रही है. आयुष्मान भारत के तहत पांच लाख रु. तक के मुफ्त इलाज की सुविधा देने के पीछे यही भाव है. इससे देश के करोड़ों मरीज़ों के लगभग 80 हज़ार करोड़ रुपए जो बीमारी में उपचार के लिए खर्च होने वाले थे वो बचे हैं. हमारे यहां करीब 9 हजार जन औषधि केंद्र हैं और यहां बाज़ार भाव से बहुत सस्ती दवाएं उपलब्ध हैं. इससे भी गरीब और मिडिल क्लास परिवारों को लगभग 20 हज़ार करोड़ रुपये की बचत हुई है.
इसके अलावा पीएम मोदी ने कहा कि देश में अच्छे और आधुनिक हेल्थ इंफ्रा का होना बहुत ज़रूरी है. आज देश में डेढ़ लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर तैयार हो रहे हैं. इन सेंटरों में डायबिटीज़, कैंसर और हार्ट से जुड़ी गंभीर बीमारियों की स्क्रीनिंग की सुविधा है. बीते वर्षों में 260 से अधिक नए मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं. इससे मेडिकल सीटों की संख्या 2014 के बाद आज दोगुनी हो चुकी है. इस वर्ष के बजट में नर्सिंग क्षेत्र के विस्तार में बल दिया गया. मेडिकल कॉलेज के पास ही 157 नए नर्सिंग कॉलेज खोलना, मेडिकल ह्यूमन रिसोर्स के लिए बड़ा कदम है. ड्रोन टेक्नोलॉजी की वजह से दवाओं की डिलीवरी और टेस्टिंग से जुड़े लॉजिस्टिक में एक क्रांतिकारी परिवर्तन आता दिख रहा है. हमारे उद्यमियों ये सुनिश्चित करें कि हमें कोई भी तकनीक को आयात करने से बचना चाहिए, आत्मनिर्भर अब बनना ही है.
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