दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने बुधवार को पीएम नरेंद्र मोदी पर बनी डॉक्यूमेंट्री को लेकर बीबीसी को समन जारी किया है. बीबीसी को भेजे समन में कोर्ट ने 30 दिनों के भीतर लिखित जवाब मांगा है. झारखंड भाजपा नेता बिनय कुमार सिंह द्वारा दायर मानहानि के मामले की सुनवाई के दौरान समन जारी किया गया है.
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मामले की अगली सुनवाई 11 मई को निर्धारित की गई है. इसके अलावा कोर्ट ने विकिमीडिया फ़ाउंडेशन को भी नोटिस जारी किया है, जो विकिपीडिया और इंटरनेट आर्काइव अमेरिका की डिजिटल लाइब्रेरी को फंड करता है. अदालत के आदेश में कहा गया है, “बीबीसी समन जारी होने के 30 दिनों के भीतर अपना लिखित जवाब दाखिल करेगा.
झारखंड भाजपा नेता बिनय कुमार सिंह ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था और कहा था कि बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री जारी करके राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद को बदनाम किया गया है.
विदेश मंत्रालय ने करार दिया था प्रोपोगेंडा पीस
बीबीसी ने ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ नाम से दो हिस्सों वाली डॉक्यूमेंट्री सीरीज़ बनाई है. यह सीरीज 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित है. भारत सरकार ने 21 जनवरी को डॉक्यूमेंट्री सीरीज का लिंक ट्वीटर और YouTube पर ब्लॉक कर दिया था. डॉक्यूमेंट्री पर MEA प्रवक्ता अरिंदम बागची ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि हमें लगता है कि यह एक प्रोपोगेंडा पीस है. इसकी कोई वस्तुनिष्ठता नहीं है, यह पक्षपातपूर्ण है. ध्यान दें कि इसे भारत में प्रदर्शित नहीं किया गया है.
डॉक्यूमेंट्री में क्या दिखाया गया है?
‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ शीर्षक वाली बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री के पहले भाग में, 2002 के गुजरात दंगों के लिए सीधे तौर पर नरेंद्र मोदी को दोषी ठहराया गया है. इसमें बताया गया है कि दंगों के बाद, ब्रिटेन के विदेश कार्यालय ने अपने स्तर पर इस घटना की जांच की और पाया कि हिंसा पूर्व नियोजित थी और राज्य सरकार के बचाव में विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों के कार्यकर्ताओं द्वारा की गई थी.
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