दिल्ली: वैश्विक स्तर पर कोरोना के नए वैरिएंट का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, लगातार चौथे हफ्ते कोरोना के कारण अस्पताल में भर्ती होने वाले संक्रमित लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, ऐसे आंकड़े चिंताजनक माने जा रहे हैं. एरिस के दो नए वैरिएंट- एरिस और BA.2.68 ने वैज्ञानिकों को सतर्क कर दिया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इन वेरिएंट्स की संक्रमण दर बहुत अधिक है, जिससे उन लोगों को भी ख़तरा हो सकता है जिन्होंने पिछले संक्रमण के बाद टीका लिया है या जिन्होंने प्रतिरक्षा विकसित कर ली है. नए वेरिएंट में पाए गए अतिरिक्त उत्परिवर्तन के कारण, यह माना जाता है कि वह आसानी से प्रतिरक्षा प्रणाली को भी अप्रभावी बना सकता है.
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इस बीच कोरोना से किस तरह के स्वास्थ्य खतरे हो सकते हैं, इसका पता लगाने के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने एक अध्ययन किया है. जारी शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि संक्रमण से ठीक होने के एक साल के भीतर मृत्यु दर 40 वर्ष से अधिक उम्र के उन लोगों में अधिक थी, जिन्हें अन्य गंभीर बीमारियां थीं या जिनमें मध्यम से गंभीर लक्षण थे.
इसका मतलब है कि कोरोना संक्रमण से मरीज के शरीर में गंभीर बीमारियां विकसित होती पाई गई हैं जिससे मौत का खतरा बढ़ सकता है.
अस्पताल से छुट्टी पाने वाले मरीजों की मृत्यु दर
‘अस्पताल में भर्ती कोविड-19 मरीजों में डिस्चार्ज के बाद मृत्यु दर’ शीर्षक वाले अध्ययन में पाया गया कि जिन प्रतिभागियों को कोविड-19 संक्रमण से पहले वैक्सीन की एक खुराक मिली थी, उनमें डिस्चार्ज के बाद मृत्यु का जोखिम कम था. अध्ययन में बताया गया कि प्रस्तुत विश्लेषण में केवल वे मरीज़ शामिल थे जो COVID-19 के कारण अस्पताल में भर्ती थे. शोधकर्ताओं ने पाया है कि कोरोना कई तरह के स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ा सकता है, जिससे गंभीर बीमारी और यहां तक कि मौत का खतरा भी काफी बढ़ सकता है.
भारत में कोविड की स्थिति नियंत्रित
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कोरोना के नए वेरिएंट ईजी.5 (एरिस) के केस 50 से अधिक देशों में दर्ज किया गया है. जबकि बीए.2.86 (पिरोला) वेरिएंट चार देशों में पाया गया है. देश भर में कोविड-19 के नए मामलों का दैनिक औसत 50 से नीचे और साप्ताहिक परीक्षण सकारात्मकता दर 0.2% से नीचे होने के कारण, भारत में स्थिति वर्तमान में काफी नियंत्रण में है.
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