इसरो ने सोशल मीडिया पर आदित्य-एल1 मिशन से जुड़ी अहम जानकारी साझा की है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट किया कि आदित्य-एल1 ने वैज्ञानिक डेटा एकत्र करना शुरू कर दिया है. STEPS उपकरण के सेंसर ने पृथ्वी से 50,000 किमी से अधिक दूर सुपर-थर्मल और ऊर्जावान आयनों और इलेक्ट्रॉनों को मापना शुरू कर दिया है. यह डेटा वैज्ञानिकों को पृथ्वी के चारों ओर कणों के व्यवहार का विश्लेषण करने में मदद करता है. यह आंकड़ा विभिन्न इकाइयों से एक इकाई द्वारा एकत्रित ऊर्जावान कणों के संदर्भ में वायुमंडल की भिन्नता के बारे में जानकारी प्रदान करता है.
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लॉन्च इसी महीने हुआ था
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने 2 सितंबर को भारत का पहला सौर मिशन आदित्य-एल1 लॉन्च किया था. इसरो ने पीएसएलवी सी57 प्रक्षेपण यान से आदित्य एल1 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था. यह प्रक्षेपण आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से हुआ था. चंद्रयान-3 की तरह यह मिशन पहले पृथ्वी की परिक्रमा करेगा और फिर तेजी से सूर्य की ओर उड़ान भरेगा.
आदित्य पृथ्वी की कक्षा में 16 दिन बिताएगा
इसरो ने कहा कि आदित्य एल1 सफलतापूर्वक अपनी कक्षा बदलकर अगली कक्षा में प्रवेश कर गया है. आदित्य एल1 पृथ्वी की कक्षा में 16 दिन बिताएगा. इस दौरान पांच बार अपनी कक्षा बदलने के लिए अर्थ बाउंड फायरिंग की जाएगी.
110 दिनों के बाद आदित्य लैग्रेंजियन बिंदु पर पहुंचेगा
110 दिनों की यात्रा के बाद, आदित्य L1 लैग्रेंजियन – 1 बिंदु पर पहुंच जाएगा. इस बिंदु पर पहुंचने के बाद, आदित्य L1 को L1 बिंदु की प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करेगा. यहीं से आदित्य एल1 सूर्या का अध्यन करेगा. यह लैग्रेंजियन बिंदु पृथ्वी से सूर्य की दिशा में 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर है. आदित्य एल1 के साथ सात पेलोड भेजे गए हैं, जो सूर्य का विस्तृत अध्ययन करेगा, इनमें से चार पेलोड सूर्य के प्रकाश का अध्ययन और बाकी तीन सूर्य के प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन करेगा.
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