दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया की ओर से दायर जमानत याचिका खारिज कर दी. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने सिसोदिया के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही जांच के मामले पर फैसला सुनाया है.
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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े मामलों में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की ज़मानत याचिका खारिज कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई छह से आठ महीने में पूरी करने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अगर सुनवाई धीमी गति से आगे बढ़ती है तो मनीष सिसोदिया बाद में फिर से ज़मानत के लिए आवेदन कर सकते हैं.
8 महीने में केस पूरा करने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने भले ही सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी हो. लेकिन कोर्ट ने आदेश दिया है कि सिसोदिया के खिलाफ केस 6 से 8 महीने के भीतर पूरा किया जाए. अगर केस की प्रक्रिया धीमी रही तो सिसौदिया 3 महीने के भीतर दोबारा जमानत के लिए आवेदन करने के हकदार होंगे. गौरतलब है कि सिसोदिया ने अपने खिलाफ दो अलग-अलग मामलों में जमानत मांगी है. एक मामला सीबीआई और दूसरा मामला ईडी ने दर्ज किया है.
सीबीआई ने 27 फरवरी को किया था गिरफ्तार
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को करीब 8 घंटे की पूछताछ के बाद सीबीआई ने 27 फरवरी को शराब घोटाले में गिरफ्तार किया था. सीबीआई ने आप नेता को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 7 के तहत आपराधिक साजिश रचने और सबूत नष्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. इससे पहले सीबीआई उनसे दो बार पूछताछ भी की थी. सीबीआई ने कोर्ट से कहा कि सिसोदिया जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. सीबीआई ने दिल्ली के उपराज्यपाल की शिकायत पर दिल्ली आबकारी नीति को लेकर मामला दर्ज किया था. सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद सिसोदिया ने 28 फरवरी को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
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