पिछली शताब्दी के पहले दशक में सूती मिलों के उछाल के साथ, अहमदाबाद में नए अभिजात वर्ग उभरने लगे. अहमदाबाद के पुराने अभिजात वर्ग जैसे हठीसिंह परिवार, मफतलाल गगलदास परिवार, मगनलाल गिरधरदास, लालभाई परिवार के पास पुराने अहमदाबाद शहर से दूर शाहीबाग जैसे सुरम्य क्षेत्रों में आलीशान बंगले थे. यह देखकर नए कुलीनों, धनी डॉक्टरों, बैरिस्टरों ने साबरमती के दूसरे छोर पर प्रसिद्ध एलिसब्रिज के बाहर बड़े-बड़े भूखंड ले लिए और वहाँ बंगले बनवा लिए. ऐसे ही एक जीवनलाल बैरिस्टर के बंगले में गांधीजी ने भारत में पहला आश्रम स्थापित किया, जिसे आज कोचरब आश्रम के नाम से जाना जाता है. उस बंगले की भव्यता को देखकर भी एलिसब्रिज इलाके के पुराने बंगलों का अंदाजा लगाया जा सकता है. अब उन बंगलों को तोड़कर वहां रिहायशी सोसायटियां या ऊंची-ऊंची व्यावसायिक इमारतें बना दी गई हैं, लेकिन आज भी एलिसब्रिज ने अहमदाबाद के एक पॉश इलाके के रूप में अपना रुतबा बरकरार रखा है. न्यूयॉर्क में मैनहट्टन है, लंदन में ट्राफलगर स्क्वायर है और अहमदाबाद में एलिसब्रिज है. क्षेत्र की तरह एलिसब्रिज विधानसभा सीट भी अपने विनम्र, शिक्षित और अध्ययनशील विधायकों के लिए जानी जाती है. कुल 2,66,140 मतदाताओं वाले इस क्षेत्र में नगरपालिका के चार वार्ड हैं.
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मिजाज
यह शायद गुजरात की एकमात्र सीट है जहां पहली विधानसभा से लेकर 2017 के आखिरी चुनाव तक केवल ब्राह्मण और जैन विधायक चुने गए हैं. इसलिए पहले मिजाज को स्वर्ण समर्थक प्रत्याशी मानना चाहिए. 1995 से बीजेपी यहां लगातार जीतती आ रही है, यानी ये सीट सत्ता पक्ष के पक्ष में झुकी हुई है. बाबूभाई वासनवाला यहां तीन अलग-अलग पार्टियों से कुल चार बार जीते. हरेन पंड्या दो बार और मौजूदा विधायक राकेश शाह का यह तीसरा कार्यकाल है. एक उम्मीदवार को दोहराना और एक मजबूत अंतर देना स्थानीय मतदाताओं का मिजाज रहा है. 1980 के एक अपवाद को छोड़कर जब बाबूभाई वासनवाला केवल 802 वोटों से जीते थे, यहां जीतने वाला उम्मीदवार हमेशा पांच अंकों के अंतर से जीता है और अब यह अंतर छह अंकों तक पहुंच गया है.
रिकॉर्ड बुक
साल विजेता पार्टी मार्जिन
1998 हरेन पंड्या भाजपा 64,520
2002 भाविन सेठ भाजपा 57,790
2007 राकेश शाह भाजपा 62,243
2012 राकेश शाह भाजपा 76,672
2017 राकेश शाह भाजपा 85,205
कास्ट फैब्रिक
इस निर्वाचन क्षेत्र में 60,000 ब्राह्मण, 40,000 जैन, 50,000 ओबीसी, 25,000 दलित और 10,000 मुस्लिम हैं. गुजरात की ज्यादातर सीटों के मुकाबले यह बेहद खास कास्ट फैब्रिक है. पाटीदार वोटरों का यहां खास महत्व नहीं है. यहां तक कि यहां दलित या मुस्लिम समीकरण भी काम नहीं आता. इसलिए दोनों पार्टियां वनिया या ब्राह्मण को ही टिकट देती रहती हैं. चूंकि मतदाता उच्च शिक्षित हैं, इसलिए यहां यह आवश्यक हो जाता है कि उम्मीदवार भी शिक्षित हो और स्वच्छ छवि वाला हो.
समस्या
समृद्ध क्षेत्र होने के कारण यहां सड़क, बिजली, सीवरेज या पानी की निकासी जैसी कोई समस्या नहीं है, लेकिन आवासीय क्षेत्रों में व्यावसायिक निर्माण की अंधाधुंध स्वीकृति के खिलाफ स्थानीय स्तर पर काफी आक्रोश है. इससे शांत, व्यवस्थित सोसायटी शोरगुल और भीड़भाड़ वाले ट्रैफिक में बदल रहे हैं. पुरानी सोसायटियों की पुनर्विकास योजनाओं के लिए नियमों में सरकार द्वारा ढील देने की मांग भी लंबे समय से लंबित है. कई 50, 60 वर्ष पुरानी सोसायटियां इस नियम के कारण जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं कि यदि सोसायटी के बाहर सड़क 60 फीट चौड़ी नहीं है, तो सोसायटी का पुनर्विकास नहीं किया जा सकता है. मुसलमानों की बढ़ती आबादी को लेकर बीजेपी समर्थक भी काफी मुखर हैं, जिसके चलते मौजूदा विधायक राकेश शाह का इस बार टिकट कटा बताया जा रहा है.
मौजूदा विधायक का रिपोर्ट कार्ड
नगर निगम पार्षद से विधायक बने राकेश शाह अपने सौम्य और मिलनसार स्वभाव के कारण तीन बार निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम रहे. अब उनकी जगह शहर में बीजेपी के बड़े नेता अमित शाह को टिकट दिया गया है. अहमदाबाद नगर निगम के पुराने खिलाड़ी के रूप में अमित शाह का एलिसब्रिज ही नहीं, बल्कि शहर के कोने-कोने में मजबूत जनसंपर्क है. भाजपा के संकटमोचक के रूप में कार्यकर्ताओं के बीच लोकप्रिय अमितभाई लंबे समय से टिकट की मांग कर रहे थे, जो इस बार पूरी हो गई है. स्वाभाविक रूप से, वे रिकॉर्ड अंतर से जीतने की कोशिश कर रहे हैं.
प्रतियोगी कौन?
कांग्रेस ने पहली बार यहां किसी स्थानीय प्रत्याशी को मौका दिया है. भिखू दवे को यहां एक बहुत ही लोकप्रिय नेता के रूप में माना जाता है. पालड़ी वार्ड के पार्षद के रूप में उनके काम को लोग आज भी याद करते हैं. कांग्रेस का स्थानीय संगठन काफी कमजोर है लेकिन भीखूभाई अपनी निजी लोकप्रियता के दम पर चुनाव लड़ रहे हैं.
तीसरा कारक
आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार पारस शाह को यहां एक समाजसेवी के रूप में भी जाना जाता है. गरीबों के बीच दवा वितरण, भोजन किट, सर्दियों के कंबल वितरण जैसी गतिविधियों में शामिल हैं. सभी जानते हैं कि उन्होंने कोरोना काल में भी कई नेक काम किया है. आम आदमी पार्टी के मुफ्त उपहारों के वादे इस समृद्ध निर्वाचन क्षेत्र में विशेष रूप से आकर्षक नहीं हैं, लेकिन एक सेवा योग्य उम्मीदवार होने के नाते, पारस शाह निश्चित रूप से महत्वपूर्ण वोट प्राप्त कर सकते हैं. बेशक मुख्य लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच लड़ी जाएगी जिसमें इस बात की पूरी संभावना है कि बीजेपी अपना गढ़ बरकरार रखेगी.
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