अहमदाबाद का ‘जब कुत्ते पर सस्सा आया’ वाला मिजाज जो किसी एक इलाके ने अपनाया हो तो वह है खाड़िया. संकरी गलियां और भूल-भूलैया जैसी पोल यह खाड़िया की पहचान है वहीं बगावत इस इलाके का मिजाज है. नए परिसीमन के बाद पड़ोस की जमालपुर सीट को भी इस सीट में मिला दिया गया है. संक्षेप में यह एक ऐसी सीट है जहां आसा भील की राजधानी आस्टोडिया, कर्णदेव की कर्णावती और अहमदशाह बादशाह के जमालपुर इस तरह तीन संस्कृतियों का साझा संगम है. कपास मिल उद्योग के उत्कर्ष के दौरान, जमालपुर अपने कपड़ा रंगाई व्यवसाय के कारण अग्रणी स्थान रखता था. यहां रंगाई का काम करने वाले मुस्लिम छीपा और हिंदू भावसार समुदाय का दबदबा था. अस्सी के दशक में हाउसिंग बोर्ड द्वारा नारनपुरा, सोला क्षेत्र को विकसित किए जाने के बाद पोल में रहने वाले अधिकांश हिंदू पलायन कर गए हैं. अब यहां मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक है. एक समय अकेले खाड़िया सीट पर करीब डेढ़ लाख मतदाता थे. अभी जमालपुर खड़िया साझा सीट है, लेकिन यहां कुल 1,98,179 मतदाता पंजीकृत हैं.
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मिजाज
आजादी का आंदोलन हो या महागुजरात, नवनिर्माण हो या आरक्षण विरोधी आंदोलन, खाड़िया का हमेशा सबसे आगे रहने का प्रभाव न केवल अहमदाबाद बल्कि पूरे गुजरात में प्रसिद्ध था. बीजेपी का पहला ऑफिस खाड़िया में था, इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि बीजेपी यहां से अपना पैर पसारना शुरू किया और आज गुजरात के बाद दिल्ली पर भी कब्जा कर लिया है. यहां की प्रसिद्ध पाटिया पार्लामेंट का एक जमाना था. बीजेपी के दिग्गज नेता अशोक भट्ट यहां के निर्विवाद नेता माने जाते थे. हालाकि, मूल खाड़िया निवासी धीरे-धीरे 1990 के आसपास नारनपुरा, सोला रोड की ओर पलायन करने लगे और यहां का राजनीतिक मिजाज भी बदल रहा है. नए सीमांकन के बाद अब यहां जमालपुर के मिजाज का दबदबा बढ़ता जा रहा है.
रिकॉर्ड बुक
साल विजेता पार्टी मार्जिन
2012 भूषण भट्ट बीजेपी 6,331
2017 इमरान खेड़ावाला कांग्रेस 29,339
(जब से यह सीट परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई है, तब से अब तक यहां दो चुनाव हो चुके हैं)
कास्ट फैब्रिक
करीब 1,30,000 मुसलमानों की आबादी वाली इस सीट पर 30,000 मुस्लिम छीपा समुदाय का दबदबा है. उस्मान गनी देवड़ीवाला इस समाज के लोकप्रिय नेता माने जाते थे. 70-80 हजार हिन्दुओं में दलितों का अनुपात प्रमुख है. पुरानी खाड़िया सीट के मिजाज के मुताबिक हिंदू वोटर एकजुट होकर बीजेपी को वोट देने के आदी हैं. ऐसे में मुस्लिम वोटों का बंटवारा बीजेपी के लिए इस सीट पर जीत का एकमात्र हथियार माना जा रहा है.
समस्या
अव्यवस्थित निर्माण, भीड़भाड़ और पूरी तरह से अव्यवस्थित यातायात मुख्य समस्या है. इसके अलावा पोल इलाका होने की वजह से हेरिटेज नियमों के चलते पुराने मकानों की मरम्मत में कई कानूनी अड़चनें भी स्थानीय निवासियों के लिए बोझ बन जाती हैं. जीएसटी की अनियमित दर के खिलाफ तीव्र आंदोलन और आश्वासन के बाद भी क्षेत्र के व्यापारियों में अभी भी असंतोष है.
मौजूदा विधायक का रिपोर्ट कार्ड
कांग्रेस के इमरान खेड़ावाला छीपा समुदाय से आते हैं और लोकप्रिय नेता माने जाते हैं. लगातार सक्रिय रहने वाले और मजबूत जनसंपर्क बनाए रखने वाले विधायक के रूप में उनकी छवि रही है. कोरोना काल में खेड़ावाला का प्रदर्शन काफी सराहनीय रहा है. हालांकि, शाहनवाज शेख के दावेदारी और कांग्रेस कार्यालय में उनके समर्थकों द्वारा की गई तोड़-फोड़ के चलते कांग्रेस की आपसी गुटबाजी उनके लिए नुकसान पहुंचा सकती है.
प्रतियोगी कौन?
इस सीट से बीजेपी ने तीन बार के विधायक भूषण भट्ट को मैदान में उतारा है. स्थानीय संगठन के भीतर इस बात को लेकर असहमति है कि विवादास्पद व्यवहार वाले भूषण भट्ट हिंदू मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने में सक्षम होंगे या नहीं. 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेसी की आपसी गुटबाजी और कमजोर उम्मीदवार के खिलाफ निर्दीलय मैदान में उतरे साबिर काबलीवाला को 30 हजार ज्यादा वोट मिले थे. इससे भाजपा को फायदा हुआ था और भूषण भट्ट को कामयाबी मिली थी. इस बार भी वे इसे दोहराने की उम्मीद कर रहे हैं.
तीसरा कारक
2012 में कांग्रेस के खिलाफ खड़े हुए साबिर काबलीवाला इस बार एआईएमआईएम उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं. खेड़ावाला की तरह यह भी छीपा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, ऐसे में अन्य मुस्लिम वोटरों का रुख काफी अहम होगा. इस इलाके में हुए निगम चुनाव में एआईएमआईएम को अच्छी सफलता मिली थी. इससे काबलीवाला को मदद मिलने की संभावना है. अगर इस बार भी काबलीवाला को 25 हजार से ज्यादा वोट मिले तो कांग्रेस को तगड़ा झटका लग सकता है. आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हारून नागोरी विशेष रूप से महत्वपूर्ण नहीं हैं, लेकिन चूंकि गैर-छीपा मुस्लिम मतदाता महत्वपूर्ण हैं, इसलिए नागोरी इसमें सेंध लगा सकते हैं और कांग्रेस को प्रभावित कर सकते हैं. कुल मिलाकर बीजेपी की कामयाबी एआईएमआईएम और आप उम्मीदवारों के प्रदर्शन पर निर्भर है.
#बैठकपुराण दानीलिमडा: कांग्रेस के गढ़ में भाजपा आप और एआईएमआईएम के सहारे सेंध लगाने की कर रही कोशिश
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