देश की एकता के लिए भावनगर राज्य देने वाले महाराजा कृष्णकुमारसिंह के भावनगर को चुनाव आयोग ने 105 क्रम दिया है. भावनगर लोकसभा सीट को इससे पहले भावनगर (दक्षिण) के नाम से जाना जाता था लेकिन नए परिसीमन के बाद कई नेताओं के परिवर्तन के कारण इस सीट की दिशा बदल गई है और अब इस सीट को भावनगर (पश्चिम) के नाम से जाना जाता है. काणियाबीड जैसे भावनगर के समृद्ध रिहायशी इलाका सहित महानगर पालिका के कुछ वार्ड के अलावा नारी और वरतेज गांव भी इस सीट में शामिल है. यहां कुल 2,61,220 मतदाता पंजीकृत हैं. शिक्षा और कला के घर के रूप में मशहूर भावनगर गुजरात राज्य के विभाजन के समय राजकोट के साथ प्रतिस्पर्धा में था, लेकिन तमाम खूबियों के बावजूद, स्थानीय लोगों का कहना है कि कमजोर नेतृत्व के कारण यह बहुत पीछे रह गया है.
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मिजाज
आक्रामक लेकिन चंचल, भावनगरी बोलने में जितने देहाती हैं, कीमत में उतने ही श्रेष्ठ हैं. भाजपा के उदय के बाद विश्व हिंदू परिषद प्रेरित एकात्मकता यात्रा, अयोध्या आंदोलन के बाद पूरे राज्य के साथ-साथ भावनगर और यह निर्वाचन क्षेत्र भी भगवा रंग में रंग गया है. भावनगर शहर और जिले में आरएसएस का कार्य भी महत्वपूर्ण है जिसका सीधा फायदा भाजपा को हो रहा है. शहर और जिले में क्षत्रिय समुदाय की महत्वपूर्ण संख्या और प्रभाव रहा है. राजेंद्रसिंह राणा लगातार पांच बार लोकसभा सीट के लिए चुने गए थे. एक समय जिले की कुल दस विधानसभा सीटों में से आधे से ज्यादा पर क्षत्रियों का दबदबा था, अब एक भी क्षत्रिय विधायक या सांसद नहीं है. यह एक बदले हुए जाति समीकरण की ओर इशारा करता है.
रिकॉर्ड बुक
साल विजेता पार्टी मार्जिन
1998 सुनील ओझा भाजपा 9858
2002 सुनील ओझा भाजपा 10034
2007 शक्ति सिंह गोहिल कांग्रेस 7134
2012 जीतू भाई वाघानी बीजेपी 53893
2017 जीतू भाई वाघानी बीजेपी 27185
(पहले तीन परिणाम भावनगर (दक्षिण) के नाम से जानी जाने वाली सीट से हैं)
कास्ट फैब्रिक
इस सीट पर क्षत्रिय, पाटीदार और कोली समुदाय प्रमुख माने जाते हैं. अस्सी के दशक में क्षत्रिय और पाटीदार समुदायों के बीच दुश्मनी का इस बैठक पर भी गहरा प्रभाव पड़ा था. अब सौभाग्य से दोनों समुदायों के बीच संबंधों में काफी सुधार आया है. क्षत्रिय और पाटीदार एक-दूसरे के योग्य उम्मीदवारों का समर्थन करते रहते हैं. हालांकि कोली समुदाय की संख्या महत्वपूर्ण है, जिले में अन्य सीटें उन्हें आवंटित की जाए उसके आधार पर कोली समुदाय का मतदान होता रहा है. पिछले दो कार्यकाल से इस सीट से पाटीदार उम्मीदवार के रूप में जीतू वाघानी चुने गए हैं. इसलिए गोहिलवाड़ क्षत्रिय समाज ने यह भावना व्यक्त की है कि इस बार भाजपा क्षत्रिय उम्मीदवार को मौका देगी.
समस्या
शहरी क्षेत्रों की लगभग सभी समस्याएं यहां भी पाई जाती हैं. अंधाधुंध शहरीकरण से घनत्व में वृद्धि होती है और भावनगर को जिस सुंदर शहरी नियोजन के लिए जाना जाता है, वह यहां नए विकसित क्षेत्रों में नहीं देखा जाता है. बारिश के पानी की निकासी की भी समस्या है. नारी इलाके में एक नए फ्लाईओवर के निर्माण की लंबे समय से मांग लंबित है. भावनगर और अहमदाबाद के बीच घनिष्ठ संबंध होने के बावजूद इस सड़क को फोर लेन बनाने का काम कभी पूरा नहीं होता है. इसे सिर्फ चुनावों के दौरान ही उठाया जाता है.
मौजूदा विधायक का रिपोर्ट कार्ड
भूपेंद्र पटेल की सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा रखने वाले शिक्षा मंत्री जीतू वाघानी इस निर्वाचन क्षेत्र के प्रतिनिधि हैं. जीतूभाई की स्थानीय स्तर काफी मजबूत पकड़ है. सीधी-सादी छवि की वजह से यह अक्सर स्थानिक लोगों के साथ चाय पीते हुए दिखाई देते हैं. युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष और अब कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी निभाने के बाद भी वह बार-बार जुबान फिसलने के कारण विवादों में भी रहे हैं. स्थानीय स्तर पर क्षत्रिय उम्मीदवार की मांग को देखते हुए जीतूभाई को गरियाधार की पाटीदार-प्रभावशाली सीट पर भेजने की व्यापक चर्चा है. हालांकि आलाकमान जीतूभाई की अपनी पसंद पर विचार करे तो भावनगर (पश्चिम) सीट पर उनकी उम्मीदवारी तय है.
प्रतियोगी कौन?
अगर जीतूभाई को गरियाधार भेजा जाता है, तो इस सीट से क्षत्रिय उम्मीदवार कौन हो सकता है, यह स्थानीय स्तर पर व्यापक चर्चा का विषय है. जिले के दिग्गज नेता महेंद्र सिंह सरवैया का नाम सबसे आगे है, लेकिन चूंकि वह पलिताना से हैं, इसलिए अन्य जातियों के मतदाताओं के बीच एक आयाती उम्मीदवार की छाप पैदा हो सकती है. महाराजा कृष्णकुमारसिंहजी के प्रपौत्र जयवीर राजसिंह के नाम की भी चर्चा चल रही है. इसके अलावा अगर भाजपा एक स्थानीय क्षत्रिय और एक नए, स्वच्छ और युवा चेहरे को सामने रखकर सरप्राइज कार्ड खेलती है तो युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष हरेंद्रसिंह गोहिल भी इस दौड़ में सबसे आगे माने जाते हैं. जबकि कांग्रेस के ओर से वरतेज के केके गोहिल का नाम सबसे आगे चल रहा है.
तीसरा कारक
शिक्षा मंत्री की सीट होने के कारण यहां आम आदमी पार्टी भी आक्रामक है. छात्र नेता और पेपर लीक मामले को लेकर सरकार पर दबाव बनाने वाले युवराज सिंह जाडेजा पिछले कुछ महीनों से यहां सक्रिय हैं. अगर आप की ओर से युवराज सिंह मैदान में उतरते हैं और जीतूभाई को गरियाधार भेजा जाता है तो यहां तीन क्षत्रिय उम्मीदवारों के बीच लड़ाई होने की संभावना है. अगर जीतूभाई यहां चुनाव लड़ते हैं तो युवराज सिंह की मौजूदगी से क्षत्रिय वोट बंट सकते हैं और उनकी जीत आसान हो सकती है.
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