मूल सूरत यह अगर सोने की छवि है, तो पिछले चालीस वर्षों में विकसित हुए इलाकों में से कतारगाम को हीरे की छवि माना जाना चाहिए. करीब 300 साल पहले बगदाद से हीरे के व्यापार के लिए यहां आए यहूदी व्यापारी जोसेफ सिमा को अपना बनाकर रखने वाला सूरत का कतारगाम आज भी जोसेफ सिमा द्वारा स्थापित यहूदियों के धार्मिक निशानियों को बरकरार रखा है. रोटी और खटिया देने की परपंरा को निभाने वाले कतारगाम में आज चार सौ से ज्यादा हीरा फैक्ट्रियां हैं. उच्च मध्यम वर्ग के हीरा व्यापारियों के लिए आवासीय क्षेत्र के रूप में इसकी प्रतिष्ठा है. नए परिसीमन के बाद, इस सीट में सूरत तालुका के गांव और महानगरपालिका के पांच वार्ड शामिल हैं. यहां कुल 2,77,541 मतदाता पंजीकृत हैं.
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मिजाज
इस सीट पर सौराष्ट्र के पाटीदार और प्रजापति समुदाय का संख्यात्मक प्रभाव है और यह काफी हद तक भाजपा के कट्टर समर्थक रहे हैं. यहां कांग्रेस के पास स्थानीय स्तर पर महत्वपूर्ण संगठन या नेतृत्व का अभाव है. व्यावसायिक क्षेत्र होने के कारण यहां सत्ताधारी दल के प्रति अनुकूल रवैया विशेष रूप से देखने को मिलता है. मध्यवर्गीय क्षेत्र वराछा की तुलना में यहां आक्रामक विद्रोह कम महसूस किया जाता है. पिछले चुनाव में पाटीदार आंदोलन के दौरान भी कतारगाम ने भाजपा के प्रति अपनी निष्ठा बनाए रखी. लेकिन नगर निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी के पैर जमाने के बाद अब यहां बीजेपी को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
रिकॉर्ड बुक
साल विजेता पार्टी मार्जिन
2012 नानूभाई वनानी भाजपा 43,272
2017 विनोद मोरडिया भाजपा 79,230
कास्ट फैब्रिक
यहां लगभग 85,000 पाटीदारों को सबसे प्रभावशाली माना जाता है, जिनमें से अधिकांश अमरेली, भावनगर जिले के हैं. इसके अलावा बोटाद, गढ़डा के वरिया प्रजापति समुदाय की संख्या लगभग 70,000 है और इसे एक महत्वपूर्ण कारक भी माना जाता है. लगभग 35,000 प्रवासी हैं लेकिन उनका मतदान ज्यादातर कारखाने के मालिकों द्वारा प्रभावित होता है. इसके अलावा 20,000 कोली पटेल और 15,000 मूल सुरती हैं. मुख्य लड़ाई पाटीदार और प्रजापति समुदायों के उम्मीदवारों के बीच होती है. दोनों समाजों का एक बड़ा तबका बीजेपी समर्थक माना जाता है.
समस्या
शहरी क्षेत्र होने के कारण यहां ट्रैफिक की समस्या खास है. फ्लाईओवर सिटी होने के बावजूद अंदरूनी इलाकों में ट्रैफिक जाम से बचा नहीं जा सकता, पेयजल की भी समस्या है. चूंकि यहां लगातार बाहर से लोग आ रहे हैं, इसलिए इस क्षेत्र के विकास के लिए उचित योजना बनाने की सख्त जरूरत है.
मौजूदा विधायक का रिपोर्ट कार्ड
बीजेपी ने मौजूदा विधायक वीनू मोरडिया को फिर से टिकट दिया है. वीनू सौराष्ट्र के लेउवा पाटीदार हैं जो हीरा कारोबार से जुड़े हैं. दबंग छवि के अलावा वह शहरी विकास जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों में राज्य मंत्री रह चुके हैं. इसलिए उनकी बिल्डर लॉबी पर भी काफी अच्छी पकड़ है. हालांकि इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि मोरडिया को इस सीट पर अंदरूनी कलह का सामना करना पड़ सकता है.
प्रतियोगी कौन?
कांग्रेस ने यहां प्रजापति समाज के कल्पेश वरिया को मैदान में उतारा है. हीरा और निर्माण उद्योग से जुड़े होने के अलावा प्रजापति की समाज में भी अच्छी छवि है. अपने समुदाय के वोटों को अक्षुण्ण रखते हुए प्रवासी, कोली पटेल समुदाय का वोट हासिल करना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी. स्थानीय संगठन के अभाव में बूथ प्रबंधन स्वयं करना भी एक बाधा मानी जाती है.
तीसरा कारक
आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया ने यहां से उम्मीदवारी दाखिल कर इस सीट को फाइव स्टार बना दिया है. अब इस सीट पर पूरे राज्य और देश की नजर होगी. आक्रामक स्वभाव के इटालिया से यहां नगरपालिका चुनावों में काफी सक्रिय थे, हर सोसायटी में उनका सीधा संपर्क है. पाटीदार समुदाय के भाजपा-समर्थक वोटों में सेंध लगाने के अलावा उन्हें अन्य समुदायों के वोट हासिल करने की चुनौती का भी सामना करना पड़ेगा. कुल मिलाकर इतना तय है कि इस सीट पर काफी कड़ा मुकाबला होगा.
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