दानशीलता और देशभक्ति किसे कहते हैं, मणिनगर इसका अद्भुत उदाहरण है. सत्रहवीं शताब्दी में सेठ उत्तम चंद ने अहमदाबाद के मुगल सूबा मुराद बख्श से कोट क्षेत्र में अहमदाबाद के दक्षिण में हजारों एकड़ अनुत्पादक भूमि की एक पट्टा 700 रुपये नकद देकर खरीदा था. सेठ उत्तमचंद के वंशजों ने पहाड़ी, पथरीली जमीन को कड़ी मेहनत से कृषि योग्य बनाने में तीन सौ साल लगा दिए. 100 साल पहले अहमदाबाद के कोट क्षेत्र में आबादी की वृद्धि और नदी के उस पार के क्षेत्रों को विकसित करने की आवश्यकता थी. उस समय अहमदाबाद नगर पालिका की ओर से सरदार पटेल ने सेठ उत्तमचंद के वंशज सेठ मानेकलाल मणिलाल से अनुरोध किया और उनसे प्रेरित होकर सरदार की विनती से सेठ मानेकलाल ने बिना किसी शर्त मान ली और तुरंत हजारों एकड़ जमीन अहमदाबाद को नगर पालिका को दान कर दी थी. सरदार पटेल के प्रयासों से इस भूमि पर आधुनिक योजना के साथ अहमदाबाद के पहले आवासीय क्षेत्र का विकास हुआ, जिसका नाम मानेकलाल के पिता के नाम पर मणिपुर रखा गया और बाद में इसे मणिनगर के नाम से जाना गया. सरदार पटेल की दूरदर्शिता के अलावा, सेठ मानेकलाल के परोपकार ने भी मणिनगर को अहमदाबाद के सबसे अच्छे क्षेत्रों में से एक बनाने में बहुत योगदान दिया था. प्रधानमंत्री और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार तीन बार इस विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.
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मिजाज
नरेंद्र मोदी की सीट के रूप में जाना जाने वाला यह निर्वाचन क्षेत्र तीन दशकों से भाजपा का कट्टर समर्थक रहा है. 1985 के बाद से यहां कांग्रेस के किसी उम्मीदवार को कभी मौका नहीं मिला. एक मध्यवर्गीय आवासीय क्षेत्र और मुख्य रूप से व्यापारिक व्यवसाय का केंद्र वाला यह इलाका शांतिपूर्ण और स्थिर शासन की मांग कर रहा है, इसलिए हिंदुत्व, विकास और स्थिरता का समीकरण मतदाताओं और भाजपा के बीच एक मजबूत कड़ी रहा है.
रिकॉर्ड बुक
साल विजेता पार्टी मार्जिन
1998 कमलेश पटेल भाजपा 39,050
2002 नरेंद्र मोदी भाजपा 75,333
2007 नरेंद्र मोदी भाजपा 87,161
2012 नरेंद्र मोदी भाजपा 86,373
2017 सुरेश पटेल भाजपा 75,199
कास्ट फैब्रिक
अपने पचरंगी कास्ट फैक्टर के कारण इस सीट को मिनी इंडिया भी कहा जाता है. उच्च जाति की आबादी के साथ-साथ पाटीदार, ब्राह्मण, वनिया, ओबीसी और दलित भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं. इसके अलावा प्रवासी और दक्षिण भारतीय के साथ ही साथ ईसाइयों की भी अच्छी खासी आबादी है. ज्यादातर पाटीदार उम्मीदवारों को चुनना हर पार्टी की प्रवृत्ति रही है. कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए यहां पाटीदार वोट बैंक के लिए खेड़ा जिले के नेता दिनशा पटेल को मैदान में उतारा था. हालांकि, बीजेपी यहां उम्मीदवार की जाति से बंधी नहीं है.
समस्या
कांकरिया तालाब के विकास के बाद मणिनगर क्षेत्र का कायापलट हो गया है. नारोल-नरोडा हाईवे के विकास से इसनपुर, लांभा क्षेत्रों की कनेक्टिविटी बढ़ी है और जमीन और घरों की कीमतें भी बढ़ी हैं. हालांकि, बीआरटीएस की वजह से ट्रैफिक जाम और विशेष रूप से पार्किंग की कमी के कारण स्थानीय बाजार पर इसका असर पड़ा है. यहां स्थानीय स्तर पर बीआरटीएस को भारी आपदा माना जा रहा है. जलभराव की समस्या के लिए बीआरटीएस को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.
मौजूदा विधायक का रिपोर्ट कार्ड
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 2014 में उपचुनाव जीतकर विधायक बने सुरेश पटेल को बीजेपी ने 2017 के चुनाव में भी दोहराया था. लेकिन खराब जनसंपर्क की शिकायतों के चलते बीजेपी ने अब उनकी जगह अमूल भट्ट को मैदान में उतारा है. अहमदाबाद नगर निगम के शीर्ष नेता के तौर पर स्थायी समिति के अध्यक्ष रह चुके अमूल भट्ट इस क्षेत्र के पुराने खिलाड़ी हैं. अमूल भट्ट को स्थानीय समीकरणों, संगठनात्मक जरूरतों और जनसंपर्क से अच्छी तरह वाकिफ माना जाता है. अमित शाह के विश्वासपात्र होने के नाते उन्हें गुटबाजी आदि की कोई समस्या का सामना नहीं करना पड़ रहा है.
प्रतियोगी कौन?
कांग्रेस ने यहां सी.एम. राजपूत को चुना है लेकिन स्थानीय धारणा है कि भाजपा के गढ़ को तोड़ने के लिए आवश्यक व्यक्तिगत करिश्मा, प्रदर्शन या संगठन में कांग्रेस उम्मीदवार काफी कमजोर माने जा रहे हैं.
तीसरा कारक
विपुल पटेल यहां आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं. स्थानीय संस्थाओं से जुड़े विपुल पटेल कोरोना काल में स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से सेवा कार्य करने के लिए जाने जाते हैं. आप के गारंटी के वादों का भी यहां खासा असर दिख रहा है लेकिन उसे मतदान केंद्र तक लाने के लिए संगठन की कमी है. इसे देखते हुए ऐसा नहीं लगता कि आप का उम्मीदवार कोई बड़ा बदलाव ला सकता है.
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