गुजरात विधानसभा सीटों पर मतदाताओं की औसत संख्या करीब ढाई से साढ़े तीन लाख के आसपास है. लेकिन इसके विपरीत ओलपाड निर्वाचन क्षेत्र में 3,63,674 मतदाता पंजीकृत हैं. उस हिसाब से यह सीट जनसंख्या के लिहाज से गुजरात की पांच सबसे बड़ी सीटों में शुमार है. ओलपाड तालुका के अलावा, चोर्यासी तालुका के 16 गांव इसमें शामिल हैं. यह निर्वाचन क्षेत्र तेजी से ग्रामीण से अर्ध-शहरी और शहरी की ओर बढ़ रहा है.
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मिजाज
1980 के बाद स्थानीय मतदाताओं ने कांग्रेस को ऐसा झटका दिया है कि उसे यहां पैर रखने की भी जगह नहीं मिल रही है. लागलगाट भाजपा को प्रचंड जीत दिलाने वाले स्थानीय मतदाताओं का मिजाज उम्मीदवार के नाम की जगह कमल के निशान पर बटन दबाने का है. पिछले चुनाव में पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान यहां कांटे की टक्कर होने की आशंका के बीच बीजेपी प्रत्याशी ने भारी अंतर से जीत हासिल की थी. हालांकि इस बार आम आदमी पार्टी से बीजेपी को कड़ी चुनौती मिलने की पूरी संभावना है.
रिकॉर्ड बुक
साल विजेता पार्टी मार्जिन
1998 धनसुख पटेल भाजपा 28,527
2002 धनसुख पटेल भाजपा 4,117
2007 किरीट पटेल भाजपा 88,161
2012 मुकेश पटेल भाजपा 37,058
2017 मुकेश पटेल बीजेपी 61,812
कास्ट फैब्रिक
इस सीट पर लगभग 85,000 कोली पटेल समुदाय के मतदाता हैं, पहले दो चुनावों को छोड़कर, 11 बार कोली पटेल उम्मीदवार ने जीत हासिल की है. यहां तलपड़ा कोली का दबदबा खास है. इसके बाद 62 से 65,000 पाटीदार भी यहां महत्वपूर्ण और प्रभावशाली हैं. 50,000 मुस्लिम, 35,000 ओबीसी और 40,000 गैर गुजराती भी यहां गेम चेंजर साबित हो सकते हैं. अक्सर कोली समुदाय के खिलाफ अन्य जाति समुदायों को जोड़ने का प्रयास किया जाता है, लेकिन कोली समुदाय का मतदान एकतरफा होने के कारण अन्य जातियों का संयोजन सफल नहीं होता है.
समस्या
अर्ध-शहरी क्षेत्र होने के बावजूद यहां बुनियादी सुविधाएं उतनी तेज नहीं हैं, जितनी यहां आवासीय मकान बन रहे हैं. नतीजतन बेतरतीब मकान, खुले गटर, गंदगी स्थायी समस्या है. ओलपाड तालुका के तट पर प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक गैस का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण किए गए हैं, लेकिन उस दिशा में कोई निश्चित योजना नहीं है. नतीजतन, बड़े उद्योग जो पंद्रह साल पहले यहां आ जाने चाहिए थे, वे अभी तक नहीं आए हैं. ओलपाड और चोर्यासी तालुका के युवा रोजगार के लिए सूरत पर निर्भर हैं. लेकिन समस्याओं के बावजूद अगर यहां सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार लगातार जीत रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि स्थानीय लोगों के लिए मुख्य समस्या उनके लिए समस्या ही नहीं है.
मौजूदा विधायक का रिपोर्ट कार्ड
स्थानीय कोली पटेल समाज के अध्यक्ष के रूप में मुकेश पटेल यहां से लगातार दो बार जीत हासिल की है. मिलनसार छाप रखने वाले मुकेशभाई को भाजपा संगठन का भी समर्थन प्राप्त है. लेकिन चूंकि इस चुनाव में बीजेपी के लिए नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं, अगर नो रिपीट थ्योरी को लागू किया जाता है, तो संभावना है कि मुकेशभाई की जगह उनके द्वारा सुझाया गया नाम सामने आएगा.
प्रतियोगी कौन?
वर्षों से कांग्रेस ने इस सीट पर लड़ने की इच्छाशक्ति खो दी है, क्योंकि स्थानीय स्तर पर न तो कांग्रेस का कोई संगठन है और न ही कोई प्रभावी प्रचार प्रणाली है. कांग्रेस ने इस बार दर्शन नायक को अपना उम्मीदवार बनाया है. देखना होगा कि तालुका पंचायत चुनाव में कारगर साबित हुए दर्शन नायक आखरी सांस ले रही संगठन में जान फूंक पाते हैं या नहीं.
तीसरा कारक
आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार धार्मिक मालवीय की वजह से गुजरात की निगाह इस सीट पर होगी. पाटीदार आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक धार्मिक मालवीय यहां पाटीदारों की नाराजगी और केजरीवाल की छवि के सहारे बदलाव की लहर पैदा करने को लेकर आशान्वित हैं. युवा पाटीदारों के बीच उनकी लोकप्रियता भी उल्लेखनीय है. इसे देखते हुए इस बार बीजेपी के पास भारी बढ़त तो ठीक है, लेकिन सीट को बचाए रखना एक चुनौती से कम नहीं है.
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