दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘वीर बाल दिवस’ के अवसर पर मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए. इस मौके पर उन्होंने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि शहीदी सप्ताह और वीर बाल दिवस हमारी सिख परंपरा के लिए भावों से भरा जरूर है लेकिन इससे आकाश जैसी अनंत प्रेरणा जुड़ी हैं. वीर बाल दिवस हमें याद दिलाएगा कि शौर्य की पराकाष्ठा के समय आयु मायने नहीं रखती. यह याद दिलाएगा कि दस गुरुओं का योगदान क्या है.
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इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह अतीत हजारों वर्ष पुराना नहीं है. यह सब कुछ इसी देश की मिट्टी पर केवल 3 सदी पहले हुआ. एक ओर धार्मिक कट्टरता और उस कट्टरता में अंधी मुगल सल्तनत और एक ओर ज्ञान और तपस्या में तपे हुए हमारे गुरु, भारत के प्राचीन मानवीय मूल्यों को जीनें वाली परंपरा, एक ओर मजहबी उन्माद और दूसरी ओर सब में ईश्वर देखने वाली उदारता. इस सबके बीच एक ओर लाखों की फौज और दूसरी ओर अकेले होकर भी निडर वीर साहिबजादे, यह साहिबजादे किसी से डरे और झुके नहीं.
उन्होंने आगे कहा कि हमें इतिहास के नाम पर वह गढ़े हुए नरेटिव बताए और पढ़ाए जाते रहे जिससे हमारे अंदर हीन भावना पैदा हो. लेकिन हमारी परंपराओं ने इन गौरव गाथाओं को जीवित रखा. अगर हमें भारत को भविष्य में सफलता के शिखरों तक लेकर जाना है तो हमें अतीत के संकुचित नजरियों से भी आज़ाद होना होगा. औरंगजेब के आतंक की ख़िलाफ़ भारत को बदलने के उसके मंसूबों के ख़िलाफ़ गुरु गोविंद सिंह जी पहाड़ की तरह खड़े थे. लेकिन जोरावर और फतेह सिंह साहब जैसे कम उम्र के बालकों से औरंगजेब की क्या दुश्मनी हो सकती थी? दो निर्दोष बालकों को दीवार में ज़िंदा चुनवाने जैसी दरिंदगी क्यों की गई?
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि वह इसलिए की गई क्योंकि औरंगजेब और उसके लोग गुरु गोविंद सिंह के बच्चों का धर्म तलवार के दम पर बदलना चाहते थे. किसी राष्ट्र की पहचान उसके आर्दशों, मूल्यों, सिद्धांतों से होती है. हमने इतिहास में देखा है कि किसी राष्ट्र के मूल्य बदल जाते हैं तो कुछ ही समय में उसका भविष्य भी बदल जाता है. यह मूल्य सुरक्षित तब रहते हैं जब वर्तमान पीढ़ी के सामने अपने अतीत आदर्श स्पष्ट रहते हैं.
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