न्यूयॉर्क: चीन ने अमेरिकी अधिकारियों को भारत के साथ संबंधों में दखलअंदाजी न करने की चेतावनी दी है. अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन ने कांग्रेस को पेश एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है. पेंटागन ने मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत के साथ गतिरोध के बीच चीनी अधिकारियों ने संकट की गंभीरता को कम करने की कोशिश की, रिपोर्ट में जोर दिया गया कि बीजिंग का उद्देश्य सीमा को स्थिर करना था और चीन उन तनावों से बचना चाहता था जो भारत के साथ उसके द्विपक्षीय संबंधों के अन्य क्षेत्रों को नुकसान पहुंचा सकते थे.
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पेंटागन ने चीन की सैन्य उत्पादन क्षमता पर कांग्रेस को अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा, “चीन गणराज्य (पीआरसी) तनाव को कम करना चाहता है ताकि भारत अमेरिका के करीब न जाए.” पीआरसी के अधिकारियों ने अमेरिकी अधिकारियों को चेतावनी दी है कि वे भारत के साथ पीआरसी संबंधों में हस्तक्षेप न करें.
पेंटागन ने कहा कि पीएलए ने 2021 तक चीन-भारत सीमा के एक हिस्से के साथ एलएसी पर सैनिकों की तैनाती और बुनियादी ढांचे का निर्माण जारी रखा था. रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों देशों (चीन-भारत) के बीच बातचीत में न्यूनतम प्रगति हुई है क्योंकि दोनों पक्ष सीमा पर कथित अलगाव के विरोध में हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, ‘दोनों देश अन्य सैन्य बलों को वापस बुलाने की मांग कर रहे हैं और इससे गतिरोध पैदा हो रहा है. लेकिन न तो चीन ने और न ही भारत ने इन शर्तों को माना था.
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 2020 की गलवान घाटी झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव 46 सालों में सबसे गंभीर हो गया है. 15 जून 2020 को गलवान घाटी में भारत और चीन के निगरानी दल आपस में भिड़ गए थे, जिसमें करीब 20 भारतीय सैनिकों की जान चली गई थी. चीनी अधिकारियों के मुताबिक, गलवान घाटी में हुई झड़प में चीन के भी 4 सैनिक मारे गए थे.
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