दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अब प्रदर्शनकारी छात्रों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से जारी नए नियमों के मुताबिक परिसर में अब धरना देने पर छात्रों को 20 हजार रुपये का जुर्माना और हिंसा में शामिल होने पर एडमिशन रद्द किया जा सकता है या फिर 30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है.
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हिंसा करने वालों छात्रों का रद्द हो सकता है एडमिशन
यूनिवर्सिटी की ओर से जारी 10 पेज की गाइडलाइन में 17 तरह के क्राइम का जिक्र है. इसके मुताबिक, अगर कोई छात्र जेएनयू परिसर में विरोध प्रदर्शन करता है, तो उस पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. साथ ही अगर कोई छात्र जेएनयू परिसर में हिंसा करता है तो उसका प्रवेश रद्द किया जा सकता है. इसके अलावा किसी भी तरह के हिंसक प्रदर्शन पर 30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है.
शिकायत की एक प्रति अभिभावक को भेजी जाएगी
विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित 17 प्रकार के अपराधों में जुआ खेलना, छात्रावास के कमरों पर कब्जा करना, भूख हड़ताल करना, अभद्र भाषा का उपयोग करना, धोखा देना और विश्वविद्यालय परिसर के किसी भी हिस्से को अवरुद्ध करना शामिल है. यदि कोई छात्र इन अपराधों का दोषी पाया जाता है, तो शिकायत की एक प्रति उसके माता-पिता को भेजी जाएगी. इसमें यह भी बताया जाएगा कि छात्र ने कौन सा अपराध किया है.
प्राध्यापकों के मामलों की सुनवाई शिकायत निवारण समिति करेगी
ऐसे मामलों में जिसमें प्रोफेसर छात्रों के साथ शामिल हैं, केंद्रीय स्तर की शिकायत निवारण समिति मामले की सुनवाई करेगी. विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर के कार्यालय में यौन उत्पीड़न, छात्राओं के साथ छेड़छाड़, रैगिंग और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के मामलों की सुनवाई की जाएगी. दिशानिर्देश में यह भी कहा गया है कि सुनवाई के दौरान कोई तीसरा पक्ष आरोपी या शिकायतकर्ता का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है. ये सभी नियम विश्वविद्यालय के पूर्णकालिक और अंशकालिक दोनों तरह के छात्रों पर लागू होंगे.
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