नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी है, जिसका उद्देश्य भारत को हरित हाइड्रोजन के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाना है. ग्रीन हाइड्रोजन मिशन धीरे-धीरे औद्योगिक, परिवहन और ऊर्जा क्षेत्रों के डीकार्बोनाइजेशन की ओर ले जाएगा. साथ ही आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी.
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केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद इसकी जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि PM मोदी के नेतृत्व में कैबिनेट की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं. आज नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी. भारत ग्रीन हाइड्रोजन का ग्लोबल हब बनेगा. भारत में प्रतिवर्ष 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन होगा. 60-100 गीगावाट की इलेक्ट्रोलाइजर क्षमता को तैयार किया जाएगा. इलेक्ट्रोलाइजर की मैन्युफैक्चरिंग और ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन पर 17,490 करोड़ प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. ग्रीन हाइड्रोजन के हब को विकसित करने के लिए 400 करोड़ का प्रावधान किया है.
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने आगे कहा कि नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के लिए 19,744 करोड़ रुपए की मंजूरी आज दी गई है. इस मिशन से 8 लाख करोड़ रुपए का सीधा निवेश होगा. 6 लाख नौकरियां इससे मिलेंगी. 50 मिलियन टन ग्रीन हाउस उत्सर्जन को कम किया जाएगा. 382 मेगावाट के सुन्नी बांध हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट हिमाचल प्रदेश के लिए मंजूर किया गया है. 2,614 करोड़ रुपए की लागत इसमें आएगी. ये सतलुज नदी पर बनेगा.
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