मणिपुर में शुरू हुई हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है. कुछ समय पहले इंटरनेट सेवा शुरू की गई थी, जिसके बाद हिंसा से जुड़े कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे. पहले महिलाओं की परेड का वीडियो वायरल हुआ और फिर दो युवकों को गोली मारने का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था. अब राज्य सरकार ने हिंसा भड़काने वाले वीडियो पर सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया है. राज्य ने हिंसा और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले वीडियो को वायरल होने से रोकने का आदेश दिया है. ऐसे वीडियो को बढ़ावा देने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा.
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वायरल वीडियो से भड़की हिंसा
सोशल मीडिया पर लगातार वीडियो और तस्वीरें वायरल होने के बाद यह आदेश दिया गया है. हाल ही में, मेतैई समुदाय के दो युवकों की गोली मारकर हत्या करने और फिर उन्हें एक गड्ढे में दफनाने का वीडियो सामने आया था. लेकिन इन दोनों को किस जगह पर दफनाया गया है इसके बारे में अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं हैं. जिसके बाद अब ऐसे वीडियो को बढ़ावा न मिले और हिंसा न बढ़े इसके लिए राज्य सरकार की ओर से अहम फैसला लिया गया है.
आईपीसी और आईटी एक्ट के तहत कार्यवाही होगी
मणिपुर के गृह विभाग ने आदेश जारी कर कहा कि मामले की जांच के बाद सरकार ने हिंसा भड़काने वाले वीडियो और तस्वीरों के प्रसार को रोकने का फैसला किया है. साथ ही चेतावनी दी है कि अगर किसी ने इन नियमों का पालन नहीं किया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी. उसके खिलाफ आईपीसी और आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी.
गौरतलब है कि बीते पांच माह में मणिपुर हिंसा में 175 लोग मारे गए, 1108 घायल हुए और 32 लापता हैं. इसके अलावा इस दौरान 4,786 घरों को आग लगा दी गई और 386 धार्मिक इमारतों को ध्वस्त कर दिया गया है. जिन 386 धार्मिक इमारतों को नष्ट किया गया या तोड़फोड़ की गई उनमें 254 चर्च और 132 मंदिर शामिल हैं. राज्य सरकार दावा कर रही है कि हालात सामान्य हो रहे हैं, लेकिन आए दिन राज्य के किसी न किसी इलाके से हिंसक घटना की खबर सामने आ रही है.
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