नई दिल्ली: एक तरफ इजराइल गाजा में हमास के ठिकानों पर लगातार हमले कर रहा है. उधर, अमेरिका ने हमास का समर्थन करने वालों पर हमला करना शुरू कर दिया है. अमेरिका ने पूर्वी सीरिया में ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) और उसके संबद्ध समूहों के ठिकानों पर हवाई हमले शुरू किए हैं.
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अमेरिका का कहना है कि यह कार्रवाई इस हफ्ते की शुरुआत में अमेरिकी बेस पर हुए ड्रोन और मिसाइल हमलों के जवाब में की गई है.
पेंटागन के मुताबिक 17 अक्टूबर को इराक और सीरिया में अमेरिकी एयरबेस पर कम से कम 12 हमले किए गए थे. उस हमले में 21 अमेरिकी नागरिक घायल हो गए थे. इराक और सीरिया में ये हमले इराक में अल-असद और सीरिया में अल-तनफ आतंकवादी संगठनों द्वारा किए गए थे, इसलिए आज का हमला उसी की जवाबी कार्रवाई का हिस्सा है.
इस संबंध में विशेषज्ञों का कहना है कि इजराइल-हमास युद्ध शुरू होने के बाद से ही हमें इस बात का पूरा अंदाजा था कि यह युद्ध मध्य पूर्व तक भी फैल सकता है. हमारा डर दुर्भाग्य से सच हो गया है. सबसे बड़ा डर तो ये है कि अमेरिका और रूस दोनों ही युद्ध में उतर चुके हैं. भले ही वे ऐसा न कहें, कोई इसे अप्रत्यक्ष भागीदारी कह सकता है. लेकिन यह स्पष्ट लगता है कि युद्ध दुनिया की दो सबसे बड़ी परमाणु शक्तियों के बीच है. गोला-बारूद भूमध्य सागर से जापान सागर तक बिखरा हुआ है.
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