दिल्ली: राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. सीबीआई ने दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट को सूचित किया कि पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ कथित भूमि नौकरी घोटाला मामले में एक ताजा आरोप पत्र के संबंध में गृह मंत्रालय से मंजूरी प्राप्त कर ली गई है. CBI के मुताबिक हालांकि 3 रेलवे अधिकारियों के खिलाफ मंजूरी अभी तक नहीं मिली है. सीबीआई ने कहा कि शेष मंजूरी एक सप्ताह के भीतर मिलने की उम्मीद है. मामले को 21 सितंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है.
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क्या है नौकरी के बदले जमीन घोटाले का मामला
सीबीआई का कहना है कि जब लालू यादव रेल मंत्री थे तब नौकरी के बदले कथित जमीन घोटाला हुआ था. आरोप है कि लालू यादव ने रेल मंत्री रहते हुए गुपचुप तरीके से पटना के 12 लोगों को ग्रुप डी की नौकरी दी थी और उनसे पैसे की मांग की थी. उनके परिवार वालों ने पटना में जमीन की रजिस्ट्री कराई थी. सीबीआई का दावा है कि प्लॉट लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती और हेमा यादव के नाम पर दर्ज थे और जमीन की नाममात्र की कीमत नकद में अदा की गई थी. इतना ही नहीं आवेदन के तीन दिन के भीतर नौकरी भी दे दी गई थी.
इस मामले में सीबीआई ने तीन जुलाई को पूरक आरोप पत्र दाखिल किया था. इस चार्जशीट में पहली बार बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का नाम सामने आया था. सीबीआई ने इस मामले में लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी समेत 16 लोगों को आरोपी बनाया है, जिनमें रेलवे अधिकारियों और नौकरी पाने वाले लोगों के नाम भी शामिल हैं.
राजद ने इसे राजीतिक लड़ाई बताया
इससे पहले इसी साल 11 मार्च को ED ने लालू यादव और उनके परिवार के दिल्ली-एनसीआर, पटना, मुंबई और रांची में 24 ठिकानों पर छापेमारी की थी. यह छापेमारी ‘नौकरी के लिए जमीन’ यानी जमीन के बदले रेलवे में नौकरी के मामले में हुई थी. राजद इस पूरे मामले को राजनीतिक लड़ाई करार दिया है.
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