दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर 17वीं भारतीय सहकारी कांग्रेस कार्यक्रम में हिस्सा लिया. इस मौके पर शाह ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी के बाद से ही सहकारिता क्षेत्र के कार्यकर्ता अलग मंत्रालय की मांग करते आ रहे थे. इस मांग को मोदी सरकार ने पूरा किया. इतना ही नहीं उन्होंने सहकारिता क्षेत्र में मोदी सरकार द्वारा किए गए कार्यों को लेकर पीएम मोदी की तारीफ की.
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समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि हम जब से आज़ाद हुए हैं तब से सहकारिता क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की प्रमुख मांग एक अलग सहकारिता मंत्रालय की थी. पहले सहकारिता का सारा काम कृषि मंत्रालय के अंतर्गत संयुक्त सचिव देखता था और इस वजह से सहकारिता क्षेत्र को बढ़ने में, समयअनुकुल परिवर्तन करने, पारदर्शिता लाने में और देश-विदेश में हुए बदलाव को अपने आप में समाहित करने में बहुत दिक्कत आती थी.
इसके अलावा उन्होंने सहकारिता को लेकर हुए बदलाव के लिए पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि आज ऋण वितरण की अर्थव्यवस्था में लगभग 29% हिस्सा सहकारी आंदोलन का है. उर्वरक वितरण में 35%, उर्वरक उत्पादन में 25%, चीनी उत्पादन में 35% से अधिक, दूध की खरीद, बिक्री और उत्पादन में सहकारिता का हिस्सा 15% को छू रहा है.
शाह के मुताबिक प्राथमिक कृषि ऋण सोसायटी (PACS) के उनियम और क़ानून पूरे देश में अलग-अलग थे. इसके अंदर एकवाक्यता लाने के लिए सहकारिता मंत्रालय ने PACS के सभी उपनियमों को बनाकर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को परामर्श के लिए भेजा है. 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने इसे स्वीकार कर लिया है. सितंबर के बाद देश के 85% PACS एक ही उनियम से चलेंगे. अभी देश में 85,000 PACS हैं. हमने लक्ष्य रखा है कि अगले 3 साल में देश के हर गांव में एक PACS होगा. इसका मतलब देश में 3 लाख से अधिक PACS होगा.
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