भारत में हरित क्रांति के प्रणेता और देश के जाने-माने कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन का आज निधन हो गया है. उन्होंने चेन्नई में आखिरी सांस ली. 98 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. उन्हें देश में हरित क्रांति का जनक कहा जाता है. उन्हें भारत में गेहूं और चावल की अधिक उपज देने वाली किस्मों को पेश करने और इन किस्मों को और विकसित करने का श्रेय दिया जाता है. उन्होंने 1960 के दशक में भारत को सूखे से बचाने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अमेरिकी वैज्ञानिक नॉर्मन बोरलॉग के साथ काम किया था.
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1987 में प्रोफेसर स्वामीनाथन को प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा उन्हें कई अन्य पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है. इनमें 1971 में प्रतिष्ठित रेमन मैग्सेसे पुरस्कार और 1986 में विज्ञान के लिए अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व पुरस्कार शामिल हैं. प्रोफेसर स्वामीनाथन को टाइम पत्रिका द्वारा 20वीं सदी के 20 सबसे प्रभावशाली एशियाई लोगों में से एक नामित किया गया था.
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