केरल सरकार ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की है. केरल सरकार का आरोप है कि राज्यपाल कई विधेयकों को मंजूरी नहीं दे रहे हैं. याचिका में कहा गया है कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के पास आठ विधेयक लंबित हैं, जिन्हें राज्य विधानसभा द्वारा पारित किया जा चुका है. याचिका में कहा गया है कि इन विधेयकों को संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा गया था लेकिन राज्यपाल इन्हें मंजूरी नहीं दे रहे हैं. आरोप है कि पिछले दो साल से तीन बिल राज्यपाल के पास लंबित हैं.
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केरल तीसरा राज्य है
गौरतलब है कि इससे पहले पंजाब की आप पार्टी और तमिलनाडु की स्टालिन सरकार भी राज्य के राज्यपाल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर चुकी है. केरल एक सप्ताह के भीतर इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाला तीसरा राज्य है. इससे पहले 28 अक्टूबर को पंजाब सरकार ने सात विधेयकों को मंजूरी देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. वहीं, 31 अक्टूबर को 12 बिलों को मंजूरी देने को लेकर तमिलनाडु की स्टालिन सरकार राज्यपाल आरएन रवि के खिलाफ कोर्ट चली गई है. द्रमुक सरकार के लंबित विधेयकों में राज्यपाल के पास लंबित नियुक्तियों, कार्यवाही की मंजूरी और कैदियों की समयपूर्व रिहाई सहित कई विधेयक शामिल हैं.
संविधान का अनुच्छेद 200 क्या है?
महत्वपूर्ण बात यह है कि संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत, राज्यपाल के पास राष्ट्रपति के विचार के लिए किसी भी विधेयक को रोकने की शक्ति है. यदि यह धन विधेयक नहीं है, तो राज्यपाल विधेयक को विचार के लिए विधायिका को वापस भेज सकता है. यदि विधायिका इन विधेयकों को दोबारा पारित करती है, तो राज्यपाल विधेयक को नहीं रोक सकते है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2023 में अपने एक फैसले में राज्यपालों को विधानमंडल द्वारा पारित विधेयकों को तेजी से पारित करने का निर्देश दिया था.
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