मणिपुर में पिछले दो महीने से जारी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. राज्य और केंद्र सरकार की ओर से लगातार शांति की अपील की जा रही है. मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इस प्रतिबंध के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. लेकिन इस याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने को कहा है.
Advertisement
Advertisement
कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट मामले की पहले से ही सुनवाई कर रहा है. अगर सुप्रीम कोर्ट नोटिस जारी करता है तो हाईकोर्ट सुनवाई पर रोक लगा देगा. इसके बाद याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ले ली. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट में अपनी दलीलें पेश करने की इजाजत दे दी है.
आवेदक ने क्या तर्क दिया?
याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील शादान फरासत ने कहा कि 14 आदेश जारी हो चुके हैं और अब तक 65 दिन हो चुके हैं. मणिपुर में इंटरनेट बंद है. कमेटी इस पर भी विचार कर रही है कि इंटरनेट कैसे बंद रखा जाए. हिंसा प्रभावित राज्य मणिपुर में एक महीने पहले शुरू हुए इंटरनेट प्रतिबंध को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी.
प्रतिबंध को यांत्रिक करार दिया गया
याचिका में इंटरनेट बैन को ‘यांत्रिक’ बताया गया है. चोंगथम विक्टर सिंह और मायेंगबेम जेम्स द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि 35 दिनों से इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा हुआ है, जिससे लोगों को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से वंचित किया जा रहा है, जो उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है. लोगों को इंटरनेट की मदद से व्यवसाय या व्यापार करने से भी रोक दिया गया है, यह लोगों के अधिकारों का अपमान है.
मेटा ने लॉन्च किया ट्विटर का कंपटीटर ऐप ‘थ्रेड्स’, सिर्फ 2 घंटे में 20 लाख लोगों ने किया डाउनलोड
Advertisement