लोकसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी ने समान नागरिक संहिता और तीन तलाक का मुद्दा उठाकर नया विवाद खड़ा कर दिया है. उसके बयान के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने आपात बैठक बुलाई थी. बैठक में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष सैफुल्लाह रहमानी, मौलाना अरशद मदनी, मौलाना ख़ालिद रशीद फरंगी महली सहित सदस्यों ने हिस्सा लिया और फैसला लिया कि बोर्ड एक ड्राफ्ट तैयार कर लॉ कमीशन के अध्यक्ष से मुलाकात करेगा.
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वहीं पीएम मोदी के इस बयान से सियासत भी तेज हो गई है. कांग्रेस सहित विपक्षी दल ने पीएम मोदी पर जमकर हमला बोला है. कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल के मुताबिक PM मोदी बरोजगारी, गरीबी, मंहगाई, मणिपुर के हालात पर बात क्यों नहीं करते हैं. मणिपुर 60 दिनों से जल रहा है, एक बार भी उन्होंने शांति की अपील नहीं की. इन सब मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए वे ऐसी बातें कर रहे हैं.
वहीं इस मामले को लेकर कांग्रेस नेता और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारी सदस्य आरिफ मसूद ने कहा कि प्रधानमंत्री को याद रखना चाहिए कि उन्होंने डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा तैयार किए गए संविधान की शपथ ली है. देश के सभी वर्गों को संविधान पर भरोसा है और वे इसे बदलने नहीं देंगे.
पीएम मोदी के बयान पर छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने पलटवार करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री सिर्फ हिंदू-मुसलमान के हिसाब से क्यों सोचते हैं. छत्तीसगढ़ में आदिवासी हैं और उनके नियम रूढ़ी परंपरा के अनुसार है. अब समान नागरिक संहिता लागू कर देंगे तो उनके रूढ़ी परंपरा का क्या होगा?
PM मोदी की UCC टिप्पणी पर JDU नेता केसी त्यागी ने कहा कि यह(समान नागरिक संहिता) एक ऐसा विषय है जिसपर सभी राजनीतिक दलों को, सभी हितधारकों को बात करनी चाहिए. भाजपा सिर्फ वोट बैंक की राजनीति करती है जिससे धार्मिक ध्रुवीकरण हो.
वहीं इस मामले को लेकर बिहार सरकार में मंत्री विजय कुमार चौधरी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गठित विधि आयोग ने विचार कर जो रिपोर्ट दी उसमें उन्होंने समान नागरिक संहिता को सही नहीं बताया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस देश में इसकी आवश्यक्ता नहीं है.
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