महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर शुरू हुआ आंदोलन उग्र और हिंसक होता जा रहा है. राज्य के मराठावाड़ा क्षेत्र के 8 जिलों में यह आंदोलन उग्र रूप ले चुका है. इसके अलावा पुणे और अहमदनगर में भी आंदोलन ने हिंसक रूप धारण कर लिया है. कई इलाकों में आगजनी की घटनाएं हुई हैं. बीड और माजलगांव के बाद मंगलवार को जालना के पंचायत कार्यालय में आग लगाने की घटना सामने आई है. इससे पहले सोमवार को उमरगा शहर के पास तुरोरी गांव में भी आग लग गई थी. प्रदर्शनकारियों ने तुरोरी में कर्नाटक डिपो की एक बस में आग लगा दी थी.
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इस आंदोलन से बीड शहर सबसे ज्यादा प्रभावित है जिसके बाद प्रशासन ने उस्मानाबाद में भी कर्फ्यू लगा दिया है. बीड में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है. आरक्षण की मांग को लेकर जालना शहर में पिछले 12 घंटों में तीन लोगों ने आत्महत्या की कोशिश कर चुके हैं. पिछले 13 दिनों से धरना चल रहा है. हिंसक घटनाओं के बीच जानकारी सामने आ रही है कि शिंदे सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने पर विचार कर रही है. जिसमें मराठों को आरक्षण देने के लिए अध्यादेश ला सकती है.
आंदोलन के नेता मनोज जारांगे ने कहा कि हम आधा नहीं बल्कि पूरा आरक्षण लेंगे. कोई भी ताकत उन्हें रोक नहीं सकती और महाराष्ट्र के मराठा नहीं रुकेंगे. इसके अलावा उन्होंने धमकी देते हुए कहा कि जब तक आरक्षण नहीं मिल जाता है विधायकों और सांसदों को मुंबई में ही रहना चाहिए. उधर डिप्टी सीएम देवेन्द्र फड़णवीस राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात कर चुके हैं. उससे पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सोमवार रात राजभवन जाकर राज्यपाल से मुलाकात की थी.
बीड कलेक्टर दीपा मुधोल-मुंडे ने कहा कि सोमवार देर रात स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन अब स्थिति नियंत्रण में है. सभी दुकानें और बाजार बंद हैं. मंगलवार को मुंबई में उद्धव ठाकरे ने कहा कि मराठा आरक्षण पर अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है. हमलोग आपके साथ हैं. यदि आवश्यक हो तो संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जिस तरीके से मराठा लोग आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं उससे शिंदे गुट के सांसदों की परेशानी बढ़ गई है.
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