दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बिहार सरकार को पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में 400 करोड़ रुपये देने का आदेश दिया है. एनजीटी ने यह कार्रवाई वैज्ञानिक रूप से ठोस और तरल कचरे का प्रबंधन करने में फेल होने पर की है.
Advertisement
Advertisement
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके गोयल की पीठ ने निर्देश दिया कि मुआवजे की राशि दो महीने के भीतर ‘रिंग-फेंस अकाउंट’ (विशेष प्रयोजन जमा) में जमा की जाए. पीठ में न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद तथा ए सेंथिल वेल भी शामिल थे.
खंडपीठ ने कहा कि यह खाता मुख्य सचिव के निर्देशानुसार राज्य में सिर्फ कचरा प्रबंधन के लिए चलाया जाना चाहिए. पीठ ने कहा, “इस राशि को ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण प्रणाली, सीवेज उपचार संयंत्र और सेप्टेज उपचार संयंत्र स्थापित करने पर खर्च किया जाना चाहिए.”
एनजीटी ने यह पाया कि राज्य में 11.74 लाख मीट्रिक टन आर 4072 मीट्रिक टन असंसाधित शहरी कचरा था और तरल अपशिष्ट उत्पादन और उपचार में अंतर 2,193 मिलियन लीटर प्रति दिन था. पीठ ने सुझाव दिया कि उपयुक्त जगहों पर खाद बनाने में गीले कचरे का इस्तेमाल करने के लिए बेहतर विकल्पों का पता लगाया जाना चाहिए.
मणिपुर हिंसा: अबतक 54 की मौत, धीरे-धीरे सुधर रहे हालात, सेना ने 13 हजार नागरिकों को बचाया
Advertisement