संसद का शीतकालीन सत्र कल से शुरू हो गया है इस बीच आज राज्यसभा में समान नागरिक संहिता लागू करने से जुड़ा प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया गया. राजस्थान से भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने इस बिल को राज्यसभा में पेश किया. बिल पेश करने के पक्ष में 63 वोट पड़े जबकि इसके खिलाफ 23 वोट पड़े. बिल में देश में समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए एक राष्ट्रीय निरीक्षण और जांच आयोग के गठन की मांग की गई है.
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कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, डीएमके सहित विपक्षी दल ने इस विधेयक को पेश करने का कड़ा विरोध किया. समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने बिल पेश करने का विरोध करते हुए कहा कि अगर मुसलमान अपनी चचेरी बहन से शादी करना उचित समझते हैं, तो क्या हिंदू ऐसा कर सकते हैं. रामगोपाल यादव के मुताबिक इसको (UCC) को नहीं लाना चाहिए था और विपक्ष ने भी इसका विरोध किया. यह विधेयक संविधान के ख़िलाफ़ है. संविधान ने अल्पसंख्यकों के सांस्कृतिक, शैक्षिक आदि अधिकारों को मौलिक अधिकारों में रखा था. अगर वह देश को बर्बाद करना चाहते हैं तो वह यह विधेयक ला सकते हैं.
समान नागरिक संहिता विधेयक को लेकर कांग्रेस सांसद सैयद नसीर हुसैन ने कहा कि कांग्रेस इस विधेयक का विरोध करती है क्योंकि हमारा देश विविधताओं से भरा है जहां लोगों के अलग-अलग विश्वास, पर्सनल लॉ, रिवाज और परंपराएं हैं. इस बिल को लाने से पहले हितधारकों के साथ गहन चर्चा और बहस होनी चाहिए.
वहीं केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में हंगामे पर कहा कि किसी भी सदस्य को अपने इलाके के मुद्दों को उठाने और विधेयक पेश करने का अधिकार है. इस पर राज्यसभा में चर्चा होनी चाहिए. सरकार पर हमला करना और बिल की आलोचना करने की कोशिश करना उचित नहीं है. वहीं माकपा सांसद जॉन ब्रिटास ने विधि आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता की कोई आवश्यकता नहीं है.
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